जयपुर

जयपुर में चलती लो-फ्लोर बस में सब चलता… नहीं चलती तो रोक-टोक, पीड़ा सबको; पर कौन करे विरोध?

Jaipur Low-floor Bus: राजस्थान पत्रिका टीम ने दूसरे दिन शनिवार को शहर की सड़कों पर दौड़ रही लो-फ्लोर बस में सफर कर हालात जानें तो ’सरकारी’ बस भी नियम तोड़ती नजर आई।

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Jul 13, 2025
ट्रैफिक लाइट पर खड़ी लो-फ्लोर बस। फोटो: पत्रिका

Jaipur News: जयपुर। सार्वजनिक परिवहन… लो-फ्लोर की रफ्तार… नियमों की अनदेखी… परेशानी का सफर… यह हकीकत है राजधानी में जयपुर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड (जेसीटीएसएल) लो-फ्लोर बस के सफर की। राजस्थान पत्रिका टीम ने दूसरे दिन शनिवार को शहर की सड़कों पर दौड़ रही लो-फ्लोर बस में सफर कर हालात जानें तो ’सरकारी’ बस भी नियम तोड़ती नजर आई।

लो-फ्लोर न तो बस स्टॉप पर ठहरी, न सवारियों की सुरक्षा की परवाह। ट्रैफिक लाइट पर ही यात्रियों को बीच सड़क उतार दिया और वहीं से यात्रियों को बस में बैठा लिया, जेब्रा क्रॉसिंग की भी पालना नहीं। चालक-परिचालक सादा वर्दी में नजर आए…।

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अजमेरी गेट पर यातायात पुलिस कार्यालय पर 35 मिनट इंतजार के बाद ट्रैफिक लाइट पर रूट नंबर 14 की बस आकर रुकी। बस में सवार हुआ। इस बीच लालबत्ती हो गई। चालक ने इसे अनदेखा कर बस आगे निकाल ली। बस में एक बुजुर्ग और कुछ महिलाएं खड़ी थीं। महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर पुरुष बैठे नजर आए।

संवाददाता ने महिला से कहा, सीट आपकी है, बैठ जाइए। महिला का जवाब मिला, कौन बैठने देता है। इतनी देर में बस न्यू गेट ट्रैफिक लाइट पर रुकी, परिचालक ने न्यू गेट के यात्रियों को उतरने की आवाज लगाई। यात्री बीच सड़क ही बस से उतरने लगे। रामलीला मैदान के बाहर बस स्टॉप बना हुआ है, लेकिन बस सांगानेरी गेट ट्रैफिक लाइट पर जाकर रुकी। यहां सांगानेरी गेट के यात्रियों को उतार दिया।

चलती बस में चढ़ने लगीं सवारियां

मोती डूंगरी रोड ट्रैफिक लाइट के पास यात्री बस का इंतजार कर रहे थे। चालक ने बस की रफ्तार धीमी कर ली, सवारियां चलती बस में चढ़ने लगीं। बस यात्रियों से भर चुकी थी, खड़े रहने की भी जगह नहीं बची। कुछ महिलाएं असहज महसूस करने लगी, पर कोई विरोध नजर नहीं आया। यहां बस-स्टॉप भी नहीं है। ऐसी ही स्थिति घाटगेट ट्रैफिक लाइट पर देखने को मिली। धीरे-धीरे चलती बस में बीच सड़क यात्री बस में चढ़ने लगे। यहां से बस ट्रांसपोर्ट नगर पुलिया के पास जाकर रुकी, यात्री उतरने लगे, मैं भी बस से उतर गया…। घड़ी देखी तो 18 मिनट में लो-लोर बस अजमेरी गेट से ट्रांसपोर्ट नगर पहुंच गई।

खुले रहे दरवाजे

लो-फ्लोर बस में ऑटोमैटिक दरवाजे होते हैं पर अजमेरी गेट से ट्रांसपोर्ट नगर तक बस के दोनों गेट खुले रहे, बीच में एक बार भी गेट बंद नहीं हुए। जबकि लो-फ्लोर बस के दरवाजे बस रुकने पर ही खुलने चाहिए।

सहायता के लिए कभी नहीं सोचा

बस में सवार महारानी कॉलेज में पढ़ने वाली टीना ने पूछने पर बताया कि रोजाना यों ही खड़े-खड़े सफर करना पड़ता है। कई बार भीड़ अधिक होने से असुविधा भी होती है। मैंने बस में लिखे हेल्पलाइन नंबर के उपयोग के बारे में पूछा तो जवाब मिला, हेल्प के लिए कभी नहीं सोची।

बस में ही गुटखा-पान-बीड़ी

बस में एक व्यक्ति ने गुटखा खाया, लेकिन किसी ने नहीं टोका। यही स्थिति बीड़ी-सिगरेट पीने वालों के साथ देखने को मिली। सहयात्री पड़ोसी की करतूत से परेशन जरूर हुए पर रोका नहीं।

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