प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाओं के मद्देनजर नए वित्तिय वर्ष से दूसरे राज्यों के पर्यटन विभागों के साथ राजस्थान पर्यटन विभाग समन्वय करेगा।
राजस्थान में पर्यटन की अपार संभावनाएं, ऐतिहासिक धरोहरों को मिलेगी नई पहचान
प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाओं के मद्देनजर नए वित्तिय वर्ष से दूसरे राज्यों के पर्यटन विभागों के साथ राजस्थान पर्यटन विभाग समन्वय करेगा। इस दौरान दूसरे राज्यों के पर्यटन महकमे की मदद से प्रदेश के ऐतिहासिक धरोहरों का प्रचार प्रसार किया जाएगा। राजस्थान पर्यटन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पर्यटन की सुविधाएं बढ़ाने और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार सृजित करने के उद्देश्य से पर्यटन कोष को बढ़ाया गया है। देश विदेश में ब्रांडिंग के साथ ही देशी- विदेशी पर्यटक राजस्थान की ओर आकर्षित होंगे।
यहां आ रहे सबसे ज्यादा सैलानी वर्तमान समय में सबसे ज्यादा विदेशी सैलानी उदयपुर, जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर, पुष्कर की सैर के लिए राजस्थान आ रहे हैं। इनमें प्लेस आन व्हील्स के सफर के साथ ही जॉयराइड एक नया अवसर सैर के लिए मिल रहा है। आगामी दिनों में दूसरे राज्यों में प्रचार—प्रसार के जरिए धरोहरों की खासियत से लेकर कई अहम जानकारी देने से पर्यटकों का रूख ओर ज्यादा प्रदेश में होना तय है। पर्यटन विभाग के मंत्री विश्वेंद्र सिंह के मुताबिक पर्यटन विभाग और आरटीडीसी में प्रतिस्पर्धा की भावना से काम हो रहा है। आगामी दिनों में राजस्थान पर्यटन विकास का नया इतिहास बनाएगा। बीते साल पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया और नई पर्यटन नीति लागू की गई है, जिससे पर्यटन के विकास में आ रही तमाम बाधाएं दूर हो रही है। जयपुर या राजस्थान में आने वाला पर्यटन यहां की यादों को संजोए रखे इसके लिए विभाग हर एक प्रयास कर रहा है।
गणगौर पर्व में भी आएंगे पावणे इधर, नवसंवत्सर 2080 का पहला लोकपर्व गणगौर 24 से 25 मार्च को मनाया जाएगा। पर्यटन विभाग की ओर से कई रंगारंग कार्यक्रमों में मेहमानों के समक्ष राजस्थान की लोक संस्कृति साकार होगी। सिटी पैलेस से शाम 5.45 बजे शाही ठाठबाठ से निकलने वाली गणगौर माता की सवारी में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए 100 से अधिक कलाकार लोकगीतों नृत्य के जरिए राजस्थान के कल्चर को प्रस्तुत करेंगे।