हर्षित जैन
जयपुर. एक ओर जहां हाल ही देश में नारी शक्ति वंदन विधेयक पास हुआ है वहीं दूसरी ओर जयपुर की बेटियां भी नारी सशक्तिकरण की दिशा में देशभर में धार्मिक अनुष्ठानों में जयपुर का डंका बजा रही है। दिगंबर जैन धर्मावलंबियों के दशलक्षण महापर्व में दिगंबर जैन श्रमण संस्कृति संस्थान के अंतर्गत संचालित संत सुधासागर कन्या आवासीय महाविद्यालय की विदुषी बेटियां जयपुर शहर समेत अन्य राज्यों के जैन मंदिरों में जैन धर्म की प्रभावना फैला रही है। बेटियों खुद सुबह अभिषेक पाठ, शांतिधारा के उच्चारण से लेकर शाम को शास्त्र प्रवचन कर रही है। आमतौर पर पहले मंदिरों में प्रवचन के लिए पुुरुष विद्वान जाते थे लेकिन इस साल पहली बार यह बदलाव की बयार सभी जगहों पर चर्चा का विषय भी बन रही है।

अन्य गतिविधियों में भी पारंगत
अधिष्ठात्री शीला डोड्या व निर्देशिका वंदना जैन के नेतृत्व ने बताया कि 180 बेटियां धार्मिक विद्या और संस्कारों को ग्रहण कर रही है। इस साल जयपुर में लगभग 30 जगहों पर, महाराष्ट्र में 10 जगह, जबलपुर में पांच जगह पर, बिजनौर, पथरिया, अजमेर, फौफनेर, बतियागढ़ में बालिकाओं की ओर से दशलक्षण पर्व में धर्म की प्रभावना फैलाई जा रही है। कक्षा 11 वीं से लेकर फाइनल ईयर तक की बेटियों को देशभर में भेजा गया है। बेटियां कंप्यूटर, सिलाई, म्यूजिक पाक कला में भी बहुत पारंगत है।

जयपुर में यहां फैल रही प्रभावना
शीला डोड्या और प्रवचन प्रभारी रेखा ने बताया कि जयपुर में बापूनगर, जौहरी बाजार, मालवीय नगर, प्रतापनगर, मंगल विहार, जवाहर नगर, चित्रकूट, मानसरोवर आदि जगहों पर बालिकाओं द्वारा विधान करवाए जा रहे हैं। समाज में जागरूकता के लिए नेमिसागर कॉलोनी में नाटिका रानी आहिल्या (हमारा लोकतंत्र कैसा हो और हमारा परिधान देशी हो) और बिन फेरे हम तेरे नाटक का मंचन किया। उपाध्यक्ष नीना जैन पहाड़िया ने बताया कि मालवीय नगर जैन मंदिर में प्रवचन कर रही बाल ब्रह्मचारी दृष्टि जैन ने आजीवन ब्रह्मचारी व्रत लिया है। दृष्टि ने बताया कि अंग्रेजी और संस्कृत के साथ ही प्राकृत अपभ्रंश आदि भाषाओं का भी हमें प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

धर्म सदैव सदाचार की पालना की दे रहा सीख
गंगानगर में जयपुर से प्रवचन करने गई मुस्कान और प्रिंसी जैन ने बताया कि धर्म सदैव सदाचार की पालना करना सिखाता है। पढ़ाई के साथ—साथ शास्त्र अध्ययन, जैन दर्शन सिद्धांत, जैन न्याय, परंपराओं के बारे में रोजाना कई घंटे पढ़ रही है। मंदिर में रोजाना सुबह पूजा—विधान, दोपहर में जैन ग्रंथों का स्वाध्याय, आरती और प्रवचन कर रही है। मुस्कान ने बताया कि युवा पीढ़ी संस्कृति से न भटके बस इसलिए यह बदलाव की कोशिश की जा रही है। हम जिनके अनुयायी है उनके बारे में जानना जरूरी है। खुद की संस्कृति को कभी न भूलें, पढ़ाई के साथ—साथ धर्म का ज्ञान जरूरी है। जैन सिद्धांतों, शास्त्रों में ही खुद की समस्याओं का हल है। प्रवचन के लिए पहले प्रशिक्षण दिया जाता है। आत्मविश्वास के साथ समाजजनों को बताया जाता है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियां बेटियां कर रही है।

बिजनौर नहटोर स्थित चंद्रप्रभु जिनालय में विधान करवा रही अणिमा जैन और राशि जैन ने बताया कि कक्षाएं संचालित करने के साथ ही प्रवचन कर रही है। आचार्य विदयासागर, मुनि सुधासागर के प्रवचनों से ह्रदय परिवर्तन हो गया है। बस जब से उनकी शैली को अनुसरण कर रहे हैं। धर्म से ही संसार चलता है। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ ने जिस प्रकार अपनी बेटियों ब्राह्मी व सुंदरी को शिक्षित किया था उनको धर्म अर्थ, काम, मोक्ष की शिक्षा प्रदान की थी। जब से समान रूप से बेटियों को बराबरी का हक मिला है। लेकिन इसमें भेदभाव न हो। बेटियां दो कुलों को रोशन करती है। यह निश्चित है कि अनेक घरों में अब धर्म की उजास को फैलाया जा रहा है।