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जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में लाइब्रेरियन की सरकारी भर्ती प्रक्रिया पर पूरी तरह रोक लगा दी। मामला पूर्व सैनिकों के लिए तय 12.5 प्रतिशत आरक्षण का सही पालन न होने का है। कोर्ट ने राज्य सरकार और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSSB) से इसकी सफाई मांगी है। जज अशोक कुमार जैन की एकलपीठ ने आदेश दिया कि इन आरक्षित पदों पर केवल पूर्व सैनिकों की ही नियुक्ति हो, किसी अन्य वर्ग से नहीं। यह फैसला न सिर्फ पूर्व सैनिकों के अधिकारों की मजबूत रक्षा करता है, बल्कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है।
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने दिसंबर 2024 में लाइब्रेरियन के 527 पदों के लिए भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। नवंबर 2025 में इसे संशोधित करते हुए कुल पदों को बढ़ाकर 600 कर दिया गया। इनमें 527 पद गैर-अनुसूचित के लिए और 73 पद अनुसूचित के लिए हैं। आरोप है कि पूर्व सैनिकों के लिए 12.5 प्रतिशत आरक्षण का सही हिसाब-किताब नहीं लगाया गया।
कुल पदों में से पूर्व सैनिकों को सिर्फ सामान्य वर्ग में 9 पद ही आरक्षित किए गए। अन्य वर्गों जैसे- एससी-एसटी, ओबीसी या ईडब्ल्यूएस में कहीं भी पूर्व सैनिकों को आरक्षण नहीं दिया गया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि नियमों के मुताबिक 12.5 प्रतिशत यानी करीब 75 पद पूर्व सैनिकों के लिए होने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
संशोधित विज्ञप्ति के अनुसार, भर्ती परीक्षा 18 दिसंबर 2025 को होनी थी, लेकिन कोर्ट के आदेश से अब यह रुक गई है। यह मामला पूर्व सैनिक सुनील कुमार और अन्य की याचिका पर सुना गया। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील राम प्रताप सैनी ने कोर्ट में दलील दी कि राज्य सरकार ने पूर्व सैनिक कल्याण विभाग के नियमों का पालन नहीं किया। पूर्व सैनिकों ने देश की सेवा की है, इसलिए उन्हें सरकारी नौकरियों में आरक्षण का पूरा हक मिलना चाहिए। कोर्ट ने इस दलील को सही मानते हुए तुरंत कार्रवाई की और बोर्ड को नोटिस जारी किया।
Updated on:
17 Dec 2025 06:01 pm
Published on:
17 Dec 2025 06:00 pm
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