
कोटपूतली मंडी परिसर में शेड के नीचे ग्रेडिंग मशीन। फोटो- पत्रिका
दिनेश मोरीजावाला
कोटपूतली। राजस्थान की कृषि उपज मंडियों को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से साल 2017-18 में शुरू की गई ग्रेडिंग-क्लीनिंग मशीन योजना आज भी अधर में लटकी हुई है। किसानों की आय बढ़ाने और मंडियों को आधुनिक बनाने के नाम पर प्रदेश सरकार ने सात साल पहले करोड़ों रुपए खर्च कर ग्रेडिंग-क्लीनिंग मशीनें खरीदीं, लेकिन इनके संचालन की जिम्मेदारी आज तक तय नहीं हो सकी। नतीजतन, किसान बिना ग्रेडिंग वाली फसलें औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं।
राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड ने वर्ष 2017-18 में करीब 40 करोड़ रुपए की लागत से प्रदेश की विभिन्न श्रेणियों (ए, बी और सी) की मंडियों के लिए ग्रेडिंग व क्लीनिंग मशीनें खरीदी थीं। प्रदेश की करीब 80 मंडियों को ये मशीनें उपलब्ध कराई गईं। इनका उद्देश्य फसलों की गुणवत्ता सुधारना और किसानों को बाजार में बेहतर दाम दिलवाना था, लेकिन संचालन शुरू नहीं होने से यह लक्ष्य कागजों में ही सिमटकर रह गया।
यहां की मंडी को बी-श्रेणी मॉडल मशीन आवंटित की गई थी, जिसकी लागत करीब 20 लाख रुपए थी। यह आधुनिक ग्रेडिंग मशीन पिछले सात साल से मंडी परिसर के एक कोने में पड़ी-पड़ी जंग खा रही है। पहले खुले में रखी गई मशीन में जंग लगने पर मंडी प्रशासन ने इसके लिए अलग से टीन शेड का निर्माण कर उसे वहां रखवाया।
ऑपरेटर की नियुक्ति और तकनीकी स्वीकृति के अभाव में ये मशीनें आज तक चालू नहीं हो सकीं। कई स्थानों पर उपकरणों का परीक्षण नहीं किया गया, जबकि कुछ मंडियों में मशीनों के रखरखाव की गाइडलाइन ही तय नहीं हो पाई। प्रदेश की सीकर, बूंदी, झुंझुनूं, नागौर और पाली सहित कई मंडियों में मशीनें या तो बंद पड़ी हैं या लंबे समय से मरम्मत का इंतजार कर रही हैं। कुछ जगह स्टाफ के अभाव में मशीनें शुरू ही नहीं हो सकीं। बाजार विशेषज्ञों के अनुसार ग्रेडिंग के बाद चना, सरसों और गेहूं जैसी फसलों के दाम 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं।
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ग्रेडिंग मशीन की सुरक्षा के लिए शेड बनाया गया है। कृषि विपणन बोर्ड को ऑपरेटर नियुक्ति के प्रस्ताव भेजे गए हैं। मशीन के संचालन में किसानों की रुचि भी कम रहती है। इस संबंध में किसानों को जागरूक किया जाएगा।
Updated on:
17 Dec 2025 05:31 pm
Published on:
17 Dec 2025 05:25 pm
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