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यहां सावन में खूब गूंजेगी पीहू-पीहू की आवाज

स बार सावन का महीना लोगों को और सुकून देगा। जिले के वन क्षेत्रों में बादलों की आवाजाही के बीच इस वर्ष मोरों की पीहू-पीहू की आवाज खूब गूंजेगी। 

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Bhola Nath Shukla

May 13, 2015

इस बार सावन का महीना लोगों को और सुकून देगा। जिले के वन क्षेत्रों में बादलों की आवाजाही के बीच इस वर्ष मोरों की पीहू-पीहू की आवाज खूब गूंजेगी।
वन विभाग की ओर से मंगलवार को जारी वन्यजीव गणना रिपोर्ट में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष जिले में 328 मोर बढऩे की पुष्टि हुई है। गत वर्ष हुई गणना में 1820 मोर मिले थे। जबकि इस वर्ष की गणना में मोरों की संख्या बढ़कर 2148 हो गई है। वन्यजीवों की संख्या बढऩे से पर्यावरण प्रेमी काफी उत्साहित हैं। उल्लेखनीय है कि जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए वन विभाग ने गत दिनों जिले के कई क्षेत्रों में सेवण घास लगाने के साथ वन क्षेत्रों के आसपास पौधे भी लगाए थे। भोजन व आवास सुविधा मिलने के कारण जिले का वन क्षेत्र वन्यजीवों को खूब लुभा रहा है। इसे देखते हुए सरकार ने जिले के बड़ोपल सहित अन्य क्षेत्रों को ईको टूरिज्म के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। प्रथम चरण में करीब दो करोड़ रुपए खर्च कर बड़ोपल वन क्षेत्र के चारों ओर भ्रमण पथ का निर्माण, पर्यटकों के बैठने के लिए मचान बनाने, वॉच टावर बनाने के साथ ही पक्षियों व वन्यजीवों को दूर से निहारने के लिए पर्यटकों को टेलीस्कॉप की सुविधाएं देने पर विचार हो रहा है।

मोर पर नजर
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार नर मोर की ऊंचाई लगभग 50 सेमी होती है। माना जाता है कि अगस्त के महीने में मोर के अधिकांश पंख झड़ जाते हैं। गर्मी आने से पहले सभी पंख निकल आते हैं। मोर की औसत उम्र 25 से 30 वर्ष तक होती है। मानसून सत्र बीतने के बाद इनका प्रजनन काल शुरू होता है। मोर की सुंदरता सभी पक्षियों में श्रेष्ठ मानी जाती है। भारत सरकार ने 1963 को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया।

हरिण व चिंकारा भी बढ़े
इस वर्ष चार व पांच मई को वॉटर हॉल पद्धति के जरिए जिले में वन्यजीवों की गणना करवाई गई थी। वर्ष 2014 में हुई वन्यजीव गणना में गीदड़ों की संख्या 828 थी, इसकी संख्या इस वर्ष 950 हो गई है। इसी तरह जंगली बिल्ली 440 से बढ़कर 449, काले हरिण 776 से बढ़कर 781, चिंकारा 3235 से बढ़कर 3523 तथा मोरों की संख्या 1820 से बढ़कर 2148 हो गई है।

गणना रिपोर्ट जारी
इस माह चार व पांच मई को हुई वन्यजीव गणना में मोर, काले हरिण व चिंकारा सहित अन्य वन्यजीवों की संख्या का बढऩा जैव विविधता की दृष्टि से बेहतर संकेत है। वन्यजीवों को प्राकृतिक आवास तथा भोजन की सुविधा दिलाने को लेकर विभाग लगातार प्रयासरत है। इस वर्ष की वन्यजीव गणना रिपोर्ट जारी कर दी गई है।
भीम सिंह, एडीएफओ, वन विभाग हनुमानगढ़