
भारत-पाक के बीच जब भी युद्ध होगा, वायुसेना हमेशा रहेगी निर्णायक स्थिति में
अरविंद पालावत/जयपुर। भारत और पाकिस्तान के बीच जब-जब भी युद्ध की स्थिति होगी, तब-तब भारतीय वायुसेना निर्णायक की भूमिका में रहेगी। इससे पहले भी हुए युद्धों में भारत ने फतह हासिल की है, उन सभी में भारतीय वायुसेना का बड़ा योगदान रहा है। यह कहना है भारतीय सेना के मेजर जनरल अनुज माथुर वीएसएम रिटायर्ड का। भारतीय वायुसेना के स्थापना दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में हमारी वायुसेना मॉर्डनाइजेशन के साथ इंडियनाइजेशन भी अपना रही है। यानी राफेल से लेकर प्रचंड तक सभी जहाजों की शक्तियां वायुसेना के बेड़े में शामिल हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि जहां पर भी लड़ाई होती है, वहां आसमान पर नियंत्रण होना बहुत आवश्यक है। यदि आसमान पर नियंत्रण नहीं होगा तो थल सेना और जल सेना दुश्मन का ग्राउंड पर मुकाबला अच्छे से नहीं कर पाती है। आसमान पर नियंत्रण करने का काम हमारी वायुसेना बखूबी निभा रही है। आज विश्व की चौथी बड़ी वायु सेना का खिताब हमारी सेना के नाम है। मेजर जनरल माथुर ने कहा कि हमारी सेना पाकिस्तान की वायुसेना से काफी आगे है, इसलिए यह हमेशा निर्णायक की भूमिका में रहेगी। इसका बड़ा कारण है कि हमारे पास 1750 जहाज हैं और 1.80 लाख से ज्यादा वायु सैनिक हैं।
बांग्लादेश को मुक्त कराने में रही बड़ी भूमिका
मेजर जनरल माथुर ने भारतीय वायुसेना का वीरता का किस्सा बताते हुए कहा कि साल 1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ तो उस समय वासुसेना ने अदम्य साहस का परिचय दिया। उस समय ढाका पाकिस्तान के नियंत्रण में था और वहां युद्ध को लेकर बड़ी रणनीति पाकिस्तान बना रहा था। उसी दौरान भारतीय वायु सेना ने गर्वनर हाउस पर आसमान से हमला बोल दिया और पूरी पाक की पूरी प्लानिंग धरी रह गई। यही कारण था कि 16 दिसंबर, 1971 को भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान ने 93 हजार सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया और उसके बाद बांग्लादेश का अलग राष्ट्र बनने का सपना साकार हुआ।
8 अक्टूबर को मनाया जाता है वायुसेना दिवस
इंडियन एयरफोर्स की स्थापना आधिकारिक तौर पर ब्रिटिश साम्राज्य की ओर से 8 अक्टूबर 1932 को की गई थी, क्योंकि उस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था। भारतीय वायुसेना तीन भारतीय सशस्त्र बलों की हवाई शाखा है और उनका प्राथमिक मिशन संघर्ष के समय में भारतीय हवाई क्षेत्र को सुरक्षित करना और हवाई गतिविधियों का संचालन करना है। इसलिए हर साल 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना दिवस मनाया जाता है।
गीता से लिया गया है ध्येय वाक्य
देश में सभी सेनाओं का अपना एक आदर्श वाक्य है। भारतीय वायुसेना का ध्येय वाक्य है 'नभ: स्पृशं दीप्तम।' भारतीय वायु सेना का यह वाक्य गीता के ग्यारहवें अध्याय से लिया गया है। यह महाभारत के महायुद्ध के दौरान कुरूक्षेत्र की युद्धभूमि में भगवान श्री कृष्ण की ओर से अर्जुन को दिए गए उपदेश का एक अंश है। इसी आदर्श वाक्य के साथ भारतीय वायु सेना अपने कामों को अंजाम देती है। इसका अर्थ है आकाश को गर्व के साथ छूना।
Published on:
08 Oct 2022 10:01 am
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