25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जयपुर

इंदौर छह तरह से कचरा एकत्र कर रहा, हम गीला-सूखा भी नहीं कर पाए अलग

राजधानी जयपुर में संसाधन इंदौर से कम नहीं हैं। लेकिन, इंदौर में छह तरीके से कचरा संग्रहण किया जा रहा है और राजधानी के दोनों निगम अब तक गीला-सूखा कचरा ही अलग नहीं कर पाए और न ही शहरवासियों को जागरूक करने के लिए निगम की ओर से कोई प्रयास किए जा रहे हैं।

Google source verification

जयपुर. राजधानी जयपुर में संसाधन इंदौर से कम नहीं हैं। लेकिन, इंदौर में छह तरीके से कचरा संग्रहण किया जा रहा है और राजधानी के दोनों निगम अब तक गीला-सूखा कचरा ही अलग नहीं कर पाए और न ही शहरवासियों को जागरूक करने के लिए निगम की ओर से कोई प्रयास किए जा रहे हैं।

राजधानी में अब तक हूपर का समय तय ही नहीं हो पाया है। लोगों को दिन भर कचरा डालने के लिए हूपर का इंतजार रहता है। जबकि, राजधानी में कचरा संग्रहण के नाम पर हर माह नौ करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो रहे हैं। आठ करोड़ प्रति माह कचरा संग्रहण पर खर्च कर इंदौर नगर निगम पांच साल से सफाई में अव्वल आ रहा है।

इतना ही नहीं, राजधानी में सड़क किनारे कचरा डिपो वर्षों से यथावत हैं। पूरे शहर में 600 से अधिक कचरा डिपो हैं। वहीं 15 से अधिक ट्रांसफर स्टेशन हैं। इनके आस-पास लोगों का रहना मुश्किल हो गया है।

कचरा एकत्र करने की प्रक्रिया

इंदौर: गीला-सूखा, डायपर-सैनेटरी पैड, बैट्री, प्रतिबंधित प्लास्टिक, कांच और ऐसा कचरा जिसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता।

जयपुर: दोनों नगर निगम में एक जैसा हाल है। न तो गीला-सूखा कचरा अलग हो रहा है और न ही अन्य कचरे के लिए गाडि़यों में कोई बॉक्स व्यवस्थित तरीके से लगे हुए हैं।

इंदौर: ये कदम साबित हुए मील का पत्थर

-वर्ष 2018 में कचरागाह को समतल किया और इस वर्ष 500 टन क्षमता का बॉयो सीएनजी प्लान्ट लगाया। इससे बनने वाली गैस का प्रयोग निगम वाहनों में कर रहा है और बाजार में भी दे रहा है।

-वर्ष 2018 में नाइट स्वीपिंग को बढ़ावा दिया और सड़क किनारे लिटनबिन्स लगाए। इससे लोगों ने कचरा सडक पर फेंकना बंद कर दिया।

-ट्रांसफर स्टेशन पर नो टच टैक्निक का प्रयोग किया गया। एक मशीन से कचरा दूसरी में शिफ्ट किया जाता है। इन स्टेशन की सफाई रोज की जाती है।

-सर्वेक्षण के शुरुआती दिनों में सुबह 5:30 बजे महापौर, आयुक्त सहित अन्य अधिकारी फील्ड में रहे। लोगों को समझाया और हूपर भी नियमित रूप से आए। जहां लापरवाही मिली, वहां जिम्मेदारों पर कार्रवाई हुई।

ऐसे बढ़ाए इंदौर ने आगे कदम

-प्रतिबंधित पॉलीथिन का उपयोग पिछलेे तीन वर्ष से बंद है।

-कचरे को रिसाइकिल कर निगम को राजस्व मिलता है।

-कचरा संग्रहण की व्यवस्था अच्छी होने से लोग पैसा भी देते हैं।

-मकानों के मलबे का निस्तारण किया। अब कहीं भी सीएंडडी (कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन) वेस्ट नहीं दिखता।

जयपुर रह गया पीछे

-दोनों ही निगम ने प्रतिबंधित पॉलीथिन को बंद करने के प्रयास किए, लेकिन सख्ती न होने से सफलता नहीं मिली।

-कचरा संग्रहण के काम में भी मनमानी हो रही है।

-20 फीसदी ही कचरे का निस्तारण हो पा रहा है।

-कचरे से भी राजस्व नहीं आ रहा है।

-सीएंडडी वेस्ट को निस्तारण की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है।