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बढ़ रही नि:संतानता, आईवीएफ सेंटर्स पर आठ वर्ष में करीब 200 फीसदी मामले बढ़े

- महिला-पुरुष दोनों में मिल रही प्रजनन संबंधी समस्याएं - राज्य के एकमात्र राजकीय आईवीएफ सेंटर में हर दिन आ रहे 70-80 केस -निजी आईवीएफ सेंटर्स पर यह संख्या 100 से ज्यादा

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जयपुर

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Jaya Gupta

Feb 03, 2023

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जयपुर। प्रदेश में दम्पत्तियों में नि:संतानता बढ़ रही है। इस कारण इन विट्रो फर्टिलाइजेशन ट्रीटमेंट (आईवीएफ) सेंटर्स पर प्रजनन संबंधी समस्याएं लेकर पहुंच रहे दम्पत्तियों की संख्या भी बढ़ रही हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के अनुसार देश में 10 से 15 फीसदी जोड़ों में प्रजनन संबंधी समस्याएं मिल रही हैं। राज्य के आईवीएफ सेंटर्स पर पिछले आठ वर्ष में इन मामलों में करीब 200 फीसदी की वृद्धि हुई है। पहले जहां केवल महिलाओं में बांझपन के केस अधिक आते थे, अब इसके पैटर्न में बदलाव हुआ है। महिलाओं जितने केस ही पुरुषों के भी आ रहे हैं।


महिला चिकित्सालय में संचालित सेंटर में 70-80 और निजी आईवीएफ सेंटर पर 100 से ज्यादा केस हर दिन आ रहे हैं। इनमें से 40 फीसदी केस पुरुषों में नपुंसकता के आ रहे हैं, वहीं 40 फीसदी केस ही महिलाओं में बांझपन के और 20 प्रतिशत केस में दोनों में समस्या होती है।
कोरोना काल के बाद यह संख्या अपेक्षाकृत तेजी से बढ़ी है। आईवीएफ करवाने वालों में 60-65 फीसदी मामलों में सफलता मिल रही है। कम उम्र के दम्पत्ति भी आईवीएफ तकनीक से बच्चा पैदा कर रहे हैं। राज्य में 40 से ज्यादा आईवीएफ सेंटर चल रहे हैं।


ढाई लाख रुपए तक खर्च
आईवीएफ का खर्च एक से ढाई लाख रुपए तक हो रहा है। जयपुर में न केवल प्रदेश से बल्कि हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश से भी लोग इलाज करवाने आ रहे हैं। विदेशों में रहने वाले वो लोग जो राजस्थान के निवासी हैं, वे भी इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।


महिलाओं में बांझपन के बड़े कारण
-देरी से शादी होना
-शादी के बाद भी करियर के कारण कई वर्ष तक बच्चे पैदा नहीं करना
-खराब लाइफस्टाइल
-ओवरी में अंडाणुओं में कमी


पुरुषों में नपुंसकता के बड़े कारण
-स्पर्म काउंट कम या निल हो रहा है
-आईवीएफ सेंटर आने वाले लोगों में ऐसे व्यक्तियों की संख्या भी बढ़ी है, जिन्हें कोरोना हुआ था
-बढ़ते आईटी कल्चर के कारण
-देर रात तक जागना या सही नींद नहीं आना
-खराब लाइफस्टाइल व मोटापाट
(विशेषज्ञों के अनुसार)

यों बढ़ा केस का आंकड़ा
वर्ष --- केस (प्रतिदिन)
2009- 10 से 15
2014-15- 25 से 30
2022-2023- 180 से 200
(आंकड़े राज्य में संचालित विभिन्न निजी व सरकारी आईवीएफ सेंटर से प्राप्त)

इन्फर्टिलिटी के मामले बढ़े हैं। लोगों में जागरुकता भी बढ़ी है। कुछ लोग ऐसे भी आ रहे हैं, जो बताते हैं कि उन्हें कोविड हुआ था। काउंसलिंग के साथ-साथ दवाईयां भी दी जाती है। आईवीएफ के मामले भी बढ़े हैं। हमारे पास जो केस आ रहे हैं, उनमें 40 फीसदी में समस्याएं महिलाओं व 40 फीसदी मामलों समस्या पुरुषों में मिल रही है। वहीं 20 फीसदी मामलों में दोनों में समस्या होती है। शादी में देरी, खराब जीवनशैली इसके प्रमुख कारण हैं।
- डॉ. अनिता शर्मा, इंचार्ज, आईवीएफ सेंटर, महिला चिकित्सालय