
प्रतीकात्मक तस्वीर: पत्रिका
International Literacy Day 2025: जब दिनभर सड़क और खेतों में पसीना बहाने वाले श्रमिक शाम को पंक्तिबद्ध बैठकर क, ख, ग लिखते हैं तो यह दृश्य किसी फिल्मी कल्पना से कम नहीं लगता। जयपुर जिले में गुरुपूर्णिमा से शुरू हुआ ‘नरेगा आखर’ अभियान अब गांव-गांव में बदलाव की गवाही दे रहा है।
यह केवल साक्षरता का कार्यक्रम नहीं, बल्कि आत्मसम्मान, अधिकार और आत्मनिर्भरता की चुपचाप चल रही क्रांति है। नरेगा कार्यस्थल अब सिर्फ मजदूरी का ठिकाना नहीं रहे। लंच ब्रेक और शाम को पढ़ाई होती है। मिट्टी से सने हाथों में कॉपी-पेंसिल देखना अब आम बात है। महिला मेट (प्रशिक्षित ग्रामीण युवा) अपने साथ काम करने वालों को पढ़ाते हैं। अब श्रमिकों के बीच अक्षरज्ञान का आदान-प्रदान हो रहा है, मानो ज्ञान की फसल भी लहलहा रही है।
हर कार्यस्थल पर बैंकिंग और डिजिटल कार्यशालाएं होंगी। श्रमिक एटीएम-यूपीआइ चलाएंगे, ऑनलाइन योजनाओं तक पहुंचेंगे। असेसमेंट टेस्ट पास करने वालों को प्रमाणपत्र मिलेगा।
जिला कलक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी का एक वाक्य ग्रामीणों, युवाओं के दिल में उतर गया। वे कहते हैं, ’जिस शिक्षित युवा की मां निरक्षर है और अंगूठा लगाती है, वह निशान बेटे के माथे पर कलंक जैसा है।’ यह बात महिलाओं के आत्मविश्वास और पुरुषों की उम्मीद का सहारा बन गया।
जिले में 46,000 से अधिक श्रमिक पाए गए निरक्षर
अब तक 41,805 श्रमिक अक्षरज्ञान से संपन्न
35,713 श्रमिकों ने सीखा लेखन का बुनियादी कौशल
27,611 श्रमिक गिनती कर रहे हैं और बैंकिंग समझ रहे हैं
Published on:
08 Sept 2025 11:23 am
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