
Internet is having a negative effect on the minds of children
Jaipur फ्यूचर सोसायटी और एलआईसी की ओर से चल रहे डिजिटल बाल मेला के प्रतिभागी बच्चों से शनिवार को सोशल मीडिया और इंटरनेट से होने वाले मानसिक प्रभाव (Mental Health) पर संवाद किया गया। मनोवैज्ञानिक मनीषा गौड़ ने कहा कि इंटरनेट का नशा दिमाग के साथ-साथ शरीर पर प्रभाव डालता और सोचने की क्षमता पर असर डालता है। ऐसे में बच्चों को एक लिमिट और गाइडलाइन के साथ ही इंटरनेट का यूज करना चाहिए। डॉ. मनीषा गौड़ ने डिजिटल बाल मेला के कोरोनाकाल में चल रहे सेशंस को बच्चों के लिए एक अच्छी पहल बताया। उन्होंने बाल मेला टीम और बच्चों के साथ मनोविज्ञान के लिए गांव और ढाणियों में जागरूकता कैंप लगाने की भी इच्छा जताई। डॉ. मनीषा ने कहा कि बाल मेला ’मेंटल हेल्थ एंबेसेडर’ बन सकता है। बच्चों के मानसिक विकास के लिए डिजिटल बाल मेला जैसे नवाचार हमेशा चलते रहने चाहिए।
पेरेंट्स को दिए सुझाव
डॉ. मनीषा ने कहा कि लॉकडाउन में बच्चों के माता-पिता को यह चिंता सताने लगी कि अपने स्कूल, टीचर्स, दोस्त और प्लेग्राउंड से दूर घरों में बंद बच्चों पर इसका मनोवैज्ञानिक असर क्या पड़ेगा। लॉकडाउन की वजह से घरों में बंद बच्चों के व्यवहार में बदलाव दिख रहा है. बच्चों में लॉकडाउन को लेकर सवाल हैं, बैचेनी है और वे चिड़चिड़े हो रहे हैं। ऐसे ही सवालों के जवाब डॉ मनीषा गौड़ ने बच्चों के साथ साझा किए और उन्हें जरूरी सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि इस वक्त में अभिभावकों को बच्चों को डांटने के बजाय धैर्य से काम लेने की ज्यादा जरूरत है। साथ ही उनको शारीरिक रूप से एक्टिव रखना भी बेहद जरूरी है। बच्चे एक्टिव रहेंगे तो तनावमुक्त भी होंगे। इसके अलावा और उनका एक शेड्यूल बना होना चाहिए कि किस वक्त में उन्हें क्या काम करना है। बच्चों को फिलहाल क्रिएटिव कामों से जोड़े रखने की जरूरत है।
Published on:
03 Jul 2021 07:29 pm
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