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नए जमाने में एक्सपेरिमेंट करना जरूरी, बोले- मशहूर पार्श्व गायक सुरेश वाडकर

मशहूर पार्श्व गायक सुरेश वाडकर का कहना है कि वक़्त की नजाक़त को देखते हुए उन्होंने भी अपने लुक्स के साथ एक्सपेरिमेंट किया है।

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इमरान शेख/जयपुर। मशहूर पार्श्व गायक सुरेश वाडकर का कहना है कि वक़्त की नजाक़त को देखते हुए उन्होंने भी अपने लुक्स के साथ एक्सपेरिमेंट किया है। मसलन, जिस तरह एक अभिनेता को अपने किरदार के लिए लुक्स में बदलाव करना पड़ता है, ठीक उसी तरह उन्होंने अपने लुक्स के साथ एक्सपेरिमेंट किया है। उनका यह एक्सपेरिमेंट फैंस को काफी पसंद आ रहा है। शनिवार को जयपुर में उन्होंने 'पत्रिका' से ख़ास बातचीत में कहा कि इंडस्ट्री में बने रहना इतना आसान नहीं होता, यहां पर टिकने के लिए लुक्स पर ध्यान देने के साथ ही जी-तोड़ मेहनत भी करनी होती है। एक सवाल के जवाब में उनका कहना था कि नए जमाने में नया चोला इसलिए धारण किया है ताकि युवा पीढ़ी को गायिकी के साथ ही अपने लुक्स से लुभा सकूं।

वाडकर ने कहा कि कला इंसान को परिपूर्ण बनाती है, कलाकार को अपने आप को निखारने के लिए समय देना चाहिए। गुरु के सानिध्य में रहकर निरंतर प्रयास करने से ही यह संभव हो सकता है। उन्होंने कहा कि गीत में सबसे पहले उसके बोल श्रोता के दिल को छूते है उसके बाद गायक की भूमिका शुरू होती है, श्रोताओं का प्यार गीत को सफल बनाता है। उन्होंने कहा कि राजस्थान मुख्यत: जयपुर से उनका बचपन से जुड़ाव है, यहां की कचौड़ी उन्हें बहुत पसंद है और यहां के मंदिरों में वे जाते रहे हैं। उन्होंने बॉलीवुड से जुड़े पुराने दौर के किस्से भी सुनाए।

संगीत साधना है, इसे सीखने का नहीं है शॉर्टकट
संगीत सिर्फ साधना से मिल सकता है और साधना सिर्फ हमारे जमाने के लोगों ने ही नहीं की। मैं अब भी तमाम ऐसे बच्चों से मिलता हूं, जिन्होंने संगीत की साधना में ही अपना पूरा समय लगा रखा है। हमारे समय में भी बहुत सारे बच्चे संगीत की तरफ झुकाव रखते थे, लेकिन तब शायद उनको अपनी प्रतिभाएं दिखाने के इतने अवसर नहीं मिलते थे। हम लोगों ने कई मर्तबा ऐसे बच्चों को ढूंढा है। सालों पहले तो हमें कोई बच्चा गाते हुए अगर रास्ते में या स्टेशन पर भी मिल जाता था तो हम रुककर उसके साथ वक्त बिताते थे और उसका मन हुआ तो उसे आगे बढ़ने का हौसला औऱ मदद भी देते थे। सुरेश वाडकर कहते हैं कि जयपुर में टैलेंट की कमी नहीं है, लेकिन उन्हें बेहतर मंच और माहौल की जरूरत है। यहां के कलाकारों ने भारतीय सिनेमा में अपना परचम लहराया है। इस दौरान जवाहर कला केंद्र की अतिरिक्त महानिदेशक प्रियंका जोधावत व अन्य पदाधिकारियों ने सुरेश वाडकर का स्वागत किया।

सुरेश वाडकर म्यूजिकल नाइट कल
जवाहर कला केन्द्र की ओर से मनाए जा रहे 'सितंबर स्पंदन' में कला प्रेमी साहित्य, संगीत और सिनेमा से सराबोर कार्यक्रमों का हिस्सा बन सकेंगे। इसी कड़ी में कला संसार मधुरम के अंतर्गत रविवार 10 सितंबर की शाम 'सुरेश वाडकर म्यूजिकल नाइट' का आयोजन किया जाएगा। मध्यवर्ती में शाम 7:30 बजे से प्रसिद्ध गायक सुरेश वाडकर अपने सदाबहार गीतों की प्रस्तुति देंगे। म्यूजिकल नाइट में वे अपने सुपरहिट नगमों को गाएंगे, इसी के साथ श्रद्धांजलि स्वरूप मो. रफी और लता मंगेशकर के गीत भी सुनाएंगे। आयोजन में पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा।