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सरकारी अस्पतालों में अभी भी हो माननीयों की चाकरी, आम मरीज चक्कर काटने को मजबूर

सरकारी अस्पतालों में बंद नहीं हुई चिकित्सा मंत्री हेल्प डेस्क, चुनाव आचार संहिता लगने पर पोस्टर-बैनर ही हटाए

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देवेंद्र सिंह राठौड़

जयपुर. चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद भले ही मंत्री-विधायकों से सुविधाएं वापस ले ली गई हो, लेकिन राजधानी के सरकारी अस्पतालों में उनकी चाकरी का सिलसिला अभी भी जारी है। क्योंकि सरकारी अस्पतालों में पूर्व में बनी चिकित्सा मंत्री हेल्प डेस्क अभी संचालित हो रही हैं। उनमें पहले से लगा स्टाफ अभी भी माननीयों की सेवा में जुटा रहता है। राजस्थान पत्रिका के संवाददाता ने शनिवार को सरकारी अस्पतालों की पड़ताल की, जिसमें यह नजारा देखने को मिला।

यह नजर आए हालात
कांवटिया अस्पताल: कांवटिया अस्पताल में चिकित्सा मंत्री हेल्प डेस्क संचालित हो रही है। यहां बातचीत में पता चला कि इस डेस्क पर एक नर्सिंगकर्मी लगा हुआ है। जरुरत पडऩे पर स्टाफ बढ़ा दिया जाता है। यह स्टाफ माननीयों की सिफारिश पर आए मरीजों की जांच व उपचार में लगे रहते हैं।

जनाना अस्पताल: चिकित्सा मंत्री हेल्प डेस्क से बैनर, पोस्टर हटा दिए गए हैं, लेकिन पूर्व की भांति ही पांच नर्सिंग स्टाफ लगा हुआ है। पूछताछ में पता चला कि यहां पर 24 घंटे नर्सिंग स्टाफ मरीजों को डॉक्टर को दिखाने, जांच करवाने, भर्ती करवाने मेें जुटे रहते हैं।

एसएमएस अस्पताल:यहां पर चिकित्सा मंत्री हेल्प डेस्क अभी भी संचालित हो रही है। हालांकि पोस्टर, बैनर हटा दिए गए हैं। वहां कार्यरत एक स्टाफर ने बताया कि यहां पर 14 नर्सिंगकर्मियों की 24 घंटे ड्यूटी है। उसमें से कई कभी-कभार ही आते हैं। यहां पर आम मरीजों की भी मदद करते हैं, लेकिन ज्यादातर कॉल मंत्री, विधायक, अफसरों के ही आते हैं।

महिला चिकित्सालय:अस्पताल में लेबर रूम के पास सहायता केंद्र बना हुआ है। यहां पर भी चार नर्सिंगकर्मी वीआईपी मरीजों की सेवा में जुटे रहते हैं। यहां भी आमजन की बजाय माननीयों के काम ज्यादा होते हैं। गर्भवती महिलाओं को भर्ती करवाने, प्रसूताओं को डिस्चार्ज करवाने समेत अन्य चिकित्सा कार्य यहां से होते हैं।

इधर, मरीजों को झेलनी पड़ रही परेशानी
पड़ताल में सामने आया कि हेल्प डेस्क पर आने वाले मरीजों के रजिस्ट्रेशन से लेकर भर्ती, ऑपरेशन तक की पूरी प्रक्रिया तुरंत हो जाती है। वहीं सामान्य मरीजों को चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। यहां तक कि मरीजों को एसएमएस, कांवटिया, जनाना समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में ओपीडी में ही रजिस्ट्रेशन पर्ची के लिए कई घंटे कतार में जूझना पड़ रहा है। जिम्मेदार इससे अनजान बना हुआ है।