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जयपुर सेंट्रल जेल के कैदियों की फिल्म ‘शुद्धि—एक नई शुरुआत’ का बर्किंघम भारतीय दूतावास में शो

वास्तविक कैदियों पर बनी फिल्म है —शुद्धि—एक नई शुरुआत, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा चुकी है फिल्म, गांधी जयंती पर बर्किंघम भारतीय वाणिज्य दूतावास में हुई स्क्रीनिंग

फिल्म का दृश्य
जयपुर सेंट्रल जेल के कैदियों की फिल्म 'शुद्धि—एक नई शुरुआत' का बर्किंघम भारतीय दूतावास में शो

सुरेंद्र बगवाड़ा , जयपुर

जयपुर के सेंट्रल जेल ( Jaipur Central Jail ) में कैदियों के अभिनय से तैयार शॉर्ट फिल्म 'शुद्धि—एक नई शुरुआत' की स्पेशल स्क्रीनिंग यूके बर्किंघम स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास (भारत का प्रधान कौंसुलावास) में हुई। दूतावास से वर्चुअल स्क्रीनिंग करते हुए लोगों में महात्मा गांधी के उदेश्श्यों और संदेश के जरिए जीवन में सकारात्मक सुधार लाने का प्रयास किया गया। यह महात्मा गांधी जयंती समारोह के तहत 2 अक्टूबर को दिखाई गई। फिल्म के निर्देशक संजीव शर्मा ने अनुसार भारतीय सिनेमा के इतिहास में यह पहला मौका रहा, जब कैदियों के अभिनय से बनी फिल्म को इस प्लेटफॉर्म पर दिखाया गया।

पांच मिनट की फिल्म, लिम्का बुक में नाम दर्ज

फिल्म के लेखक व निर्देशक शर्मा बताते है कि फिल्म जयपुर के सेंट्रल जेल ( Central Jail ) में वर्ष 2014 में तैयार की थी। पांच मिनट की यह भारतीय सिनेमा की पहली शॉर्ट फिल्म रही, जिसमें कलाकार के रूप में वास्तविक कैदियों ने ही अभिनय किया। इन्हें पांच दिन की विशेष वर्कशॉप में ट्रेनिंग दी गई। इसका उददेश्य कैदियों के जीवन में सुधार लाना था। कैदियों के अभिनय से ही फिल्म का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड ( Limca Book of Records ) दर्ज हुआ।

जब कैदियों की सजा हुई कम

जानकारी के अनुसार इस फिल्म के लिए वर्कशॉप और अभिनय करने वाले कैदियों में बडा बदलाव देखने को मिला। रोंकेल मीडिया एजुकेशन एंड रिसर्च इंस्टीटयूट के फाउंडर शर्मा बताते है कि जेल प्रशासन ने सकारात्मक बदलाव देखते हुए कैदियों की सजा भी कम की। यह फिल्म राजस्थान की सभी जेलों के कैदियों के रिफॉर्मेशन के लिए बनाई गई।

लेखक व निर्देशक संजीव शर्मा ने कहा-

'आत्मशुद्धि के लिए अपनी गलतियों को स्वीकारें। तभी नए रिश्तों की शुरुआत हो सकती है। महात्मा गांधी जी ने भी अपनी गलतियों को सुधारने के लिए उन्हें स्वीकारा था। फिल्म भी ऐसा ही संदेश देती है। यह फिल्म पीएम नरेंद्र मोदी के हैशटेगचैंजविदइन मिशन को साकार करती है।

एडीजी पुलिस भूपेंद्र दक बोले—

'कैदियों में सुधार के लिए जेल प्रशासन लगातार प्रयासरत है। फिल्म से भी कैदियों में काफी सुधार देखा गया। हमें भी इस क्रिएटिव कार्य को देखकर अच्छा लगा। तब मैं जेल इंचार्ज था। हमनें तो सिर्फ परमिशन दी, अच्छा काम तो संजीव शर्मा की टीम ने किया।'