
अजोला फार्मिंग से खेतों में मल्टी क्रॉपिंग आसान, पत्रिका फाइल फोटो
जयपुर। जिले में किसानों ने अब खेतों में कम पानी से घट रही पैदावार के बाद खेती का तरीका बदल दिया है। मौजूद संसाधनों से अजोला फार्मिंग कर किसान अब मालामाल हो रहे हैं। दुधारू पशुओं के लिए च्यवनप्राश बनी अजोला घास से सालभर पशु आहार का इंतजाम करना भी किसानों के लिए आसान हो गया है। अजोला के साथ अन्य पैदावार से किसानों को दोहरा आर्थिक लाभ मिलने लगा है। जयपुर जिले के चिमनपुरा गांव में अजोला घास के उत्पादन से किसानों को भारी मुनाफा होने लगा है। किसानों ने कृषि विभाग की सलाह पर खेतों में अजोला फार्मिंग की। पशुओं को अजोला घास खिलाने से दुग्ध उत्पादन भी बढ़ने पर आर्थिक लाभ मिलना शुरू हो गया है।
खेत में गड्ढा कर के प्लास्टिक का तिरपाल बिछाकर इसमें वर्मी कम्पोस्ट और खेत की मिट्टी डाली जाती है। प्लांट के लिए घास के 10 किलो बीज लगाने से 15 दिन में 50 किलो से ज्यादा अजोला घास की पैदावार हो जाती है। नम और गर्म जलवायु में अजोला घास सालभर उपलब्ध रहता है। अजोला के प्लांट में 15 दिन में एक बार पानी बदला जाता है। यह कम पानी में भी उग आती है। किसान बचे हुए खेत में 20-25 फीट के अंतराल में आंवला बोकर फसल ले रहे हैं। आंवले के बीच में मौसम के अनुसार बाजरा, सरसों की बुवाई कर किसान दोहना लाभ कमा रहे हैं।
बाजार में किसानों को 100 रुपए प्रति किलो की दर से अजोला बीज उपलब्ध हैं। किसान समन्वित कृषि प्रणाली इकाई से बीज लेकर इसे आसानी से उगा सकता है। अजोला किसानों के लिए पशु आहार में पोषण का सस्ता व असरदार साधन है। अजोला फार्मिंग गांव-गांव के पशुपालकों के लिए कम लागत, ज्यादा पोषण और अतिरिक्त आमदनी का रास्ता खोल रही है। यही कारण है कि इसे पशुओं का सुपरफूड कहा जाने लगा है। अजोला खिलाने के बाद पशुओं में प्रसव के दौरान हड्डियों की कमजोरी के कारण उठ नहीं पाने की बीमारी भी दूर हुई है। घास पशुओं को खिलाने पर दुधारू पशु ज्यादा दूध देते हैं। वहीं घास में कैल्शियम की प्रचुरता होने पर पशुओं को अलग से कैल्शियम देने की जरूरत भी नहीं पड़ती। अजोला पशुओं में कैल्शियम की कमी भी दूर करता है। अजोला से पशुओं को ठंडक मिलती है और दिन का 18 लीटर से ज्यादा दूध देने वाले पशु हांफते नहीं हैं।
Published on:
12 Dec 2025 01:26 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
