राजधानी की बात करें तो यहां के कई बड़े अपस्ताल ही मृत जन्म के पंजीयन 21 दिन में नहीं कर रहे है। निगम सूत्रों की मानें तो इसमें शहर के प्रमुख बड़े अस्पताल जनाना, महिला चिकित्सालय और गणगौरी अस्पताल भी शामिल है। मृत जन्म के सही आंकड़े नहीं होने से सरकार की कई योजनाओं पर असर पड़ रहा है। इसे लेकर गत दिनों जन्म—मृत्यु पंजीयन संबंधी कार्य की देखरेख के लिए गठित राज्य स्तरीय अन्तर्विभागीय समन्वय समिति की बैठक में यह मामला उठा। बैठक में तय किया गया कि मृत जन्म के मामलों का शत प्रतिशत पंजीयन कराया जाए। इसके बाद सरकार ने चिकित्सा संस्थानों, सीएचसी, पीएचसी में नियुक्त उप रजिस्ट्रार को निर्धारित अवधि 21 दिन में मृत पंजीयन की बाध्यता हटा दी है, साथ ही सभी उप रजिस्ट्रार्स को मृत जन्म के शत प्रतिशत पंजीयन के लिए निर्देश जारी किए है।
बच्चों की मृत्यु दर रोकने की योजना को झटका जानकारों की मानें तो मृत जन्म के रजिस्ट्रेशन नहीं होने से सरकार बच्चों की मृत्यु दर रोकने की योजना नहीं बना पा रही है। मृत जन्म के रजिस्ट्रेशन होने से यह आसानी से मालूम चल जाता है कि किस क्षेत्र में बच्चों की मृत्यु दर अधिक है, इसके बाद वहां बच्चों की मृत्यु दर के कारणों का पता लगाकर सरकार बच्चों की मृत्यु दर रोकने की योजना तैयार करती है।