इसके बाद पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि कोई उन्हें बताए कि उनकी बेटी को न्याय किस तरह मिलेगा। पुलिस कह रही है कि सबूत नहीं मिल रहे। सबूत कहां से मिलेगा, कहीं नष्ट तो नहीं कर दिए गए। जिस दिन आत्महत्या हुई, उसके बाद अस्पताल के ही लोगों ने कमरा खोला, उसके दस घंटे बाद परिजन जयपुर पहुंचे। उन्होंने आरोप लगाया कि इस दौरान सबूत मिटा देने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि साक्षी की मौत के बाद उसका कोई सुसाइड नोट भी अब तक नहीं मिला है।
सोमेश ने कहा कि आत्महत्या से पहले साक्षी को तेज बुखार था। वह उस दिन अस्पताल नहीं जा पा रही थी। सुबह 6.30 बजे वहां एक कर्मचारी आई, उसके सामने सीनियर से बात हुई। उसके बाद उसने अंदर जाकर आत्महत्या की । उन्होंने कहा कि इसके बाद तीन जूनियर उसे बुलाने के लिए आई। उन्होंने कमरा धक्का देकर खोला तो आत्महत्या का पता चला।
पिता सोमेश ने बताया कि साक्षी होनहार थी। वह अपनी पढ़ाई के दम पर ही यहां तक पहुंची थी। वरीयता के अनुसार उसे उनके क्षेत्र में दूसरे कॉलेज भी मिल रहे थे। लेकिन एसएमएस का नाम सुनकर वह यहां आई थी। लेकिन यहां उसे प्रताड़ना का माहौल मिला। जिसके बारे में वह रोज उन्हें फोन पर बताती थीं।