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पीएचक्यू : साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए सभी बैंक प्रतिनिधियों को एक मंच पर आना होगा

ऑनलाइन आर्थिक अपराध राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा, निजी बैंक घरों में और सुनसान स्थानों पर एटीएम बूथ खोल देते हैं, जिससे साइबर अपराधी आसानी से ठगी की रकम निकाल लेते हैं, डीजीपी की बैंक प्रतिनिधियों के साथ इन मुद्दों को लेकर होगी वार्ता

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जयपुर. राजस्थान में साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस महकमा सभी बैंकों के प्रतिनिधियों को एक मंच पर लाने की तैयारी में जुटा है। साइबर जालसाज एक बैंक से दूसरे बैंक में ठगी की रकम ट्रांसफर कर घरों में व सुनसान स्थानों पर लगे निजी बैंकों एटीएम बूथ से ठगी की रकम निकाल लेते हैं। पुलिस मुख्यालय का तर्क है कि ऑनलाइन आर्थिक अपराध राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है। इस तरह के कई मामले सामने आने के बाद पुलिस मुख्यालय ने सभी बैंकों के लिए एक गाइडलाइन बनाई, जिसकी सहमती के लिए सभी बैंक प्रतिनिधियों के साथ डीजीपी उमेश मिश्रा वार्ता करेंगे। सबकुछ ठीक रहा तो सोमवार को पुलिस मुख्यालय में सभी बैंकों के प्रतिनिधियों के साथ यह वार्ता होगी।

पुलिस की तरफ से तैयार किए गए गाइडलाइन के सुझाव

- सभी बैंक प्रतिनिधियों के बीच आपसी सहयोग स्थापित करने के लिए रिजर्व बैंक सभी नॉडल अधिकारियों का एक वाट्सऐप ग्रुप बनाए, जिससे साइबर जालसाज एक बैंक से दूसरे बैंक में रुपए ट्रांसफर करते हैं, लेकिन एक बैंक से दूसरे बैंक को सूचना देने में देरी होने से जालसाज रुपए निकाल लेते हैं। इसको रोकने के लिए सभी बैंकों में एक नॉडल ऑफिसर की नियुक्ति हो और साइबर ठगी का मामला सामने आते ही जिस बैंक में रकम ट्रांसफर हुई उसके प्रतिनिधि से संपर्क कर रुपयों (बैंक खाते) को फ्रीज करवाए। नॉडल अधिकारी ठगी के शिकार व्यक्ति को फ्रीज की गई रकम वापस दिलाने में मदद करें।

- बिना केवाईसी के बैंक खाते ऑपरेट नहीं करने देना चाहिए। केवाईसी के बाद प्रत्येक 2 माह में खाते को आधार से लिंक मोबाइल पर वेरिफाई करने के लिए ऑटो एसएमएस जनरेट करें। खाते में जमा और निकासी का एसएमएस भी आधार कार्ड से जुड़े मोबाइल नंबर पर भेजें। 10 हजार रुपए से अधिक राशि के ट्रांजेक्शन व निकासी पर ओटीपी सिस्टम लागू किया जाना चाहिए।

-प्रत्येक बैंक व एटीएम बूथ पर पिन साईज सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं, जो नजर नहीं आने चाहिए। कैमरे का कवरेज क्षेत्र एटीएम बूथ के बाहर भी होना चाहिए। कैमरे चालू है या नहीं, इसके लिए बैंक अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करनी चाहिए। प्रत्येक अवांछनीय घटना के घटित होने पर अलार्म सिस्टम, पॉप-अप नोटिफिकेशन अन्य सेंसर व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम के द्वारा मिलने चाहिए।

- स्थानीय अभय कमांड, पुलिस थाना व बैंक से एटीएम के कैमरे जुड़े होने चाहिए। एटीएम में एक से अधिक व्यक्ति के प्रवेश पर पाबंदी और चेहरे पर नकाब व हेलमेट लगाकर प्रवेश करने पर अलार्म बजना चाहिए।

- मेवात व अन्य क्षेत्र में निजी बैंक द्वारा एटीएम दुकानों व घरों में लगाए जा रहे हैं। अधिकत्तर यह एटीएम ठगी की राशि निकालने के काम में लिए जा रहे हैं। ऐसे एटीएम को बंद किया जाए। निजी बैंक कभी भी एटीएम खोले तो उस स्थान के संबंध में स्थानीय थाना पुलिस से स्थान का सत्यापन करवाना चाहिए।

- सामान्यत: साइबर ठगी की राशि दूसरे बैंक खाते में ट्रांसफर कर तुरंत एटीएम से निकाल ली जाती है। बैंक ऐसे खातों को हर माह चिह्नित करें, जिसमें रकम आने के बाद तुरंत एटीएम से निकाल ली गई।

- खाता धारक को बैंक दस्तावेज (पासबुक, चेकबुक, एटीएम, डेबिट कार्ड) स्थाई पते पर ही भेजे जाने चाहिए।

इसलिए बताया जरूरी

राष्ट्रीय सुरक्षा एवं अखण्डता को चोट पहुंचाने वाले आराजक तत्व, उग्रवादी, नक्सली और आतंकी संगठनों द्वारा फर्जी बैंक खातों के दुरुपयोग करने की संभावना रहती है।

पीएचक्यू की तरफ से यह लोग होंगे शामिल


बैंक प्रतिनिधियों से वार्ता में डीजीपी उमेश मिश्रा के अलावा साइबर डीजी डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा, एडीजी क्राइम दिनेश एमएन, एटीएस-एसओजी के एडीजी अशोक राठौड़, आईजी क्राइम प्रफुल्ल कुमार सहित अन्य कई अधिकारी शामिल होंगे।