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Jaipur: आरयू कैंपस की राजनीति पर लगा ब्रेक…तीन साल की तैयारी, लाखों का खर्च अब चुनाव पर सस्पेंस

राजस्थान में छात्रसंघ चुनावों की चुप्पी गहरी होती जा रही है। पिछले दो सत्र से चुनावों पर लगी रोक के चलते न तो प्रचार शुरू हुआ, न ही कोई छात्रनेता नामांकन की दौड़ में दिखा। बल्कि इस बार तो छात्रनेता पहले चुनाव बहाली की मांग कर रहे हैं, फिर मैदान में उतरने की सोच रहे हैं।

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राजस्थान यूनिवर्सिटी में कट आउट लेकर प्रदर्शन, पत्रिका फोटो

राजस्थान यूनिवर्सिटी में कट आउट लेकर प्रदर्शन, पत्रिका फोटो

जयपुर. हर साल जुलाई का महीना आते ही कॉलेज और विश्वविद्यालय परिसरों में छात्रसंघ चुनाव का माहौल गर्माने लगता है। कैनोपी लगती हैं, पोस्टर छपते हैं, कैंपस गूंजते हैं नारेबाजी से। लेकिन इस बार भी राजस्थान में छात्रसंघ चुनावों की चुप्पी गहरी होती जा रही है। पिछले दो सत्र से चुनावों पर लगी रोक के चलते न तो प्रचार शुरू हुआ, न ही कोई छात्रनेता नामांकन की दौड़ में दिखा। बल्कि इस बार तो छात्रनेता पहले चुनाव बहाली की मांग कर रहे हैं, फिर मैदान में उतरने की सोच रहे हैं।

तीसरे सत्र में भी रोक की आशंका

राजस्थान यूनिवर्सिटी समेत राज्य के अन्य महाविद्यालयों में 2022 के बाद से छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए हैं। अब यदि इस वर्ष भी चुनाव नहीं होते, तो यह लगातार तीसरा सत्र होगा जब छात्रों को लोकतांत्रिक मंच से वंचित रहना पड़ेगा। राजस्थान यूनिवर्सिटी की बात करें तो यहां 50 से अधिक छात्र पिछले तीन वर्ष से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे हैं। इनमें से कई ने तो केवल चुनाव के उद्देश्य से विश्वविद्यालय में दाखिला भी लिया।

दो दशक में कब-कब हुए चुनाव

2003 के बाद से अब तक 9 बार छात्रसंघ चुनावों पर रोक लग चुकी है।
2004 के बाद 5 साल तक लगातार चुनाव नहीं हुए।
2010 से 2018 तक हर साल चुनाव हुए।
2022 में आखिरी बार चुनाव हुए, इसके बाद दो सत्र से रोक लगी है।

चुनावी दावेदारी में खर्च हो रहे लाखों

तैयारियों में लगे छात्र नेताओं ने धरनों, रैलियों, सामाजिक गतिविधियों और कैंपस में सक्रियता बनाए रखने में अब तक 20 से 25 लाख रुपए तक खर्च कर दिए हैं। लेकिन अब वे ठिठक गए हैं और सरकार की हरी झंडी के बिना आगे बढ़ने का जोखिम नहीं लेना चाहते।

कट-आउट लेकर उठी चुनाव बहाली की मांग

राजस्थान यूनिवर्सिटी में बुधवार को छात्रसंघ चुनाव बहाली की मांग को लेकर छात्रों ने अनोखे तरीके से प्रदर्शन किया। छात्रनेता शुभम रेवाड़ के नेतृत्व में छात्रों ने यूनिवर्सिटी कैंपस में पूर्व और वर्तमान राजनेताओं के कट-आउट के साथ रैली निकाली, जिनका राजनीतिक जीवन छात्र राजनीति से शुरू हुआ था। प्रदर्शन के दौरान छात्र शांतिपूर्वक नारे लगाते हुए कैंपस में घूमे और यूनिवर्सिटी प्रशासन व राज्य सरकार से छात्रसंघ चुनाव बहाल करने की मांग की। इस मौके पर छात्र नेता शुभम रेवाड़ ने कहा कि अगर सरकार को छात्रसंघ चुनाव को लेकर कोई समस्या है, तो उसे सामने लाकर समाधान किया जाए। आज हमने शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखी है, लेकिन अगर जल्द चुनाव बहाल नहीं हुए, तो आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन किया जाएगा।

छात्र संगठन पदाधिकारी ये बोले

छात्रसंघ चुनाव राजनीति की पहली सीढ़ी होते हैं। बार-बार इन पर रोक लगाकर युवाओं के लिए इस रास्ते को बंद किया जा रहा है। जब युवा नेतृत्व की शुरुआत से ही हतोत्साहित होगा, तो राजनीति में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद कैसे की जा सकती है? अगर इस मंच को खुला रखा जाए, तो अच्छी सोच वाले युवा सामने आएंगे और देश की दिशा बदल सकते हैं।-भारत भूषण यादव, केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य, एबीवीपी

छात्रसंघ चुनाव युवाओं के लिए सिर्फ मंच नहीं, नेतृत्व की पहली पाठशाला हैं। इन्हें बंद करना उस ऊर्जा को कुचलना है, जो आने वाले वक्त में देश का नेतृत्व संभाल सकती है। अगर छात्र राजनीति को लगातार दबाया गया, तो युवाओं का राजनीति से विश्वास और जुड़ाव खत्म हो जाएगा। इससे न सिर्फ लोकतंत्र कमजोर होगा, बल्कि भविष्य के नेतृत्व का संकट भी गहराएगा। -विनोद जाखड़, प्रदेश अध्यक्ष, एनएसयूआइ