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3 ई पर काम हो तो सुधरे ट्रैफिक, फर्राटा भरे वाहन

राजधानी में अव्यवस्थित ट्रैफिक के पीछे एनक्रोचमेंट, (जगह-जगह अतिक्रमण), एजुकेशन (लोगों में यातायात नियमों की जानकारी का अभाव) और इंजीनियरिंग (जरूरत के हिसाब से विकास न होना) जिम्मेदार हैं।

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जयपुर। राजधानी में अव्यवस्थित ट्रैफिक के पीछे एनक्रोचमेंट, (जगह-जगह अतिक्रमण), एजुकेशन (लोगों में यातायात नियमों की जानकारी का अभाव) और इंजीनियरिंग (जरूरत के हिसाब से विकास न होना) जिम्मेदार हैं। जिम्मेदारों ने 3ई को लेकर यदि गंभीरता से काम किया होता तो शहर में जाम के ऐसे हालात न होते।

राजधानी का जिस तरह से विकास हो रहा है, उस लिहाज से विकास कार्य नहीं हो रहे। कहीं फुट ओवर ब्रिज की जरूरत है तो कहीं अंडरब्रिज की।

ये काम जिम्मेदार विभाग समय पर पूरा कर लें तो लोगों को समय रहते राहत मिल जाए, लेकिन राजधानी में जिम्मेदार महकमे काम ही नहीं कर पा रहे। स्थिति यह है कि कई जगह ट्रैफिक लाइट की जरूरत है, उसको भी जिम्मेदार नहीं लगा पा रहे हैं।
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पहला ई : एनक्रोचमेंट : शहर की सड़कें अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुकी हैं। बाजारों से ज्यादा अस्थायी अतिक्रमण अब गलियों में पहुंच चुका है। परकोटे के बाजारों में तो बुरा हाल है।

एमआइ रोड, सी स्कीम, अजमेर रोड, वैशाली नगर, खातीपुरा, मानसरोवर, सांगानेर के बाजारों में भी अतिक्रमण से लोग परेशान हैं।

दूसरा ई : एजुकेशन : ट्रैफिक नियमों की जानकारी भी कम है। यातायात पुलिस का फोकस नियमों की जानकारी पर कम और चालान काटने पर ज्यादा होता है। राजधानी के कई चौराहों की जेब्रा लाइन पर ही वाहनों को खड़े देखा जा सकता है। रेड सिग्नल होने पर भी वाहन चालक कई बार फर्राटा भरते निकल जाते हैं।

पैदल चलने वाले जेब्रा लाइन की बजाय अपनी सहूलियत से रास्ता बना लेते हैं। कई बार तो वाहनों की चपेट में भी आ जाते हैं। शहर में कई जगह नो पार्किंग के बोर्ड लगे हैं, लेकिन वहां भी गाड़ियां खड़ी दिख जाएंगी।

तीसरा ई : इंजीनियरिंग : जरूरत के हिसाब से विकास नहीं हो रहा है। सांगानेर से लेकर प्रताप नगर और जेएलएन मार्ग के पास कई बार फुट ओवर ब्रिज की मांग उठ चुकी, लेकिन अब तक एक भी जगह निर्माण कार्य चालू नहीं हो पाया।

ओटीएस चौराहे को चौड़ा करने का प्रोजेक्ट आठ वर्ष पहले बनाया गया था। उसको डम्प कर दो वर्ष पहले नया प्लान बनाया। दोनों में से एक भी धरातल पर नहीं आया।

इसी तरह लक्ष्मी मंदिर तिराहे पर वाहनों की राह तो सुगम हो गई, लेकिन पैदल चलने वालों का ध्यान नहीं रखा गया।

जयपुर में जाम की समस्या आम हो गई है। शहर में बढ़ते ट्रैफिक से आप परेशान हैं और शहर में कहां आपको सबसे ज्यादा परेशानी होती है। हमें बताएं...इसके लिए आप अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर जानकारी पोस्ट कर उसका लिंक हमें वाट्सऐप नम्बर 8094020235 पर भेजें।

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