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जयपुर

मुख्यमंत्री व जलदाय मंत्री के होम जिले में ही अफसरों की कुर्सी खाली

गर्मी में पेयजल समस्या का जल्द निदान कैसे हो, जलदाय विभाग (Water supply department) के पास पर्याप्त संख्या में अफसर ही नहीं है। प्रदेश के आठ जिले ऐसे है, जहां 60 फीसदी कनिष्ठ अभियंताओं (जेईएन) की कुर्सी खाली (JEN chair vacant) है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) के गृह जिले जोधपुर व जलदाय मंत्री बी.डी. कल्ला (Water Minister B.D. Kalla) के होम जिले बीकानेर में ही जलदाय के आधे कार्यालयों में जेईएन नही है।

जयपुरMay 18, 2021 / 05:33 pm

Girraj Sharma

मुख्यमंत्री व जलदाय मंत्री के होम जिले में ही अफसरों की कुर्सी खाली

मुख्यमंत्री व जलदाय मंत्री के होम जिले में ही अफसरों की कुर्सी खाली

मुख्यमंत्री व जलदाय मंत्री के होम जिले में ही अफसरों की कुर्सी खाली
– जलदाय विभाग के हाल
– प्रदेश के 8 जिलों में जेईएन के 60 फीसदी पद रिक्त
– मुख्यमंत्री के होम जिले जोधपुर में 53.13 प्रतिशत जेईएन के पद रिक्त
– जलदाय मंत्री के होम जिले बीकानेर जिले में जेईएन के आधे पद खाली

जयपुर। गर्मी में पेयजल समस्या का जल्द निदान कैसे हो, जलदाय विभाग (Water supply department) के पास पर्याप्त संख्या में अफसर ही नहीं है। प्रदेश के आठ जिले ऐसे है, जहां 60 फीसदी कनिष्ठ अभियंताओं (जेईएन) की कुर्सी खाली (JEN chair vacant) है। प्रदेश में जालौर जिला तो ऐसा है, जहां 83 प्रतिशत कार्यालयों में जेईएन नहीं है। बडी बात है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) के गृह जिले जोधपुर व जलदाय मंत्री बी.डी. कल्ला (Water Minister B.D. Kalla) के होम जिले बीकानेर में ही जलदाय के आधे कार्यालयों में जेईएन नही है। जोधपुर जिले में जेईएन के कुल 96 पद स्वीकृत है, जिसमें से 51पदों पर ही जेईएन कार्यरत है। बीकानेर जिले में जेईएन के कुल 61 पद स्वीकृत है, जिसमें से सिर्फ 32 पदों पर ही जेईएन लगे हुए है।
घर-घर पानी पहुंचाने के साथ जनता की पेयजल की समस्या को दूर करने की जिम्मेदारी जेईएन की होती है, जेईएन का ही जनता से सीधे जुड़ाव होता है। जबकि जलदाय विभाग के अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में आठ जिलों में जेईएन की कुर्सी कई सालों से खाली पड़ी है, ऐसे में जनता की पानी की समस्या तय समय मे दूर होना मुश्किल है। प्रदेश के जालौर, बाड़मेर, नागौर, पाली, चुरू, जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर जिले ऐसे है, जहां जेईएन के 386 पद स्वीकृत है, जिनमें सिर्फ 151 पदों पर ही जेईएन लगे हुए है। बाकी 235 पद खाली है, जिससे जनता के काम समय पर नहीं हो पा रहा है। कुछ ऐसे ही हालात प्रदेश के अन्य जिलों के भी है।
इन जिलों में अधिक जरूरत
प्रदेश के जालौर में जेईएन के 83.33 फीसदी पद रिक्त है, वहीं बाड़मेर में 68.42 प्रतिशत, नागौर में 68.42 प्रतिशत, पाली में 66.67 फीसदी और चुरू में 62.50 प्रतिशत पद रिक्त है। यहां कई कार्यालयों में जेईएन नहीं है। विभाग के अधिकारियों की माने तो कई जगहों पर जेईएन का अन्य कर्मचारी कर रहे है, जबकि इन कर्मचारियों को तकनीकी जानकारी तक नहीं है। वहीं जैसलमेर में 56.52 प्रतिशत, जोधपुर में 53.13 प्रतिशत और बीकानेर में 47.54 प्रतिशत पद रिक्त है। यहां जेईएन की अधिक जरूरत है।
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