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Jaipur News: लाइफ लाइन स्टोर में कथित करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश; संगठित भ्रष्टाचार की परतें उधड़ने लगीं, अधिकारियों की चुप्पी सवालों में

जयपुर में सवाई मानसिंह अस्पताल परिसर में संचालित लाइफलाइन मेडिकल एवं ड्रग स्टोर में करोड़ों रुपए के घोटाले का बड़ा खुलासा हुआ है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर, मेटा एआइ

जयपुर। सवाई मानसिंह अस्पताल परिसर में संचालित लाइफलाइन मेडिकल एवं ड्रग स्टोर में करोड़ों रुपए के घोटाले का बड़ा खुलासा हुआ है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की प्राथमिक जांच में सामने आया कि वर्ष 2011 से 2019 के बीच निजी फर्मों से दवाओं की विलंबित आपूर्ति पर लगने वाली मैंडेटरी पेनल्टी की वसूली जानबूझकर नहीं की गई, जिससे राज्य सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ।

एफआइआर में उल्लेख है कि यह वित्तीय घोटाला कई वर्षों तक संगठित तरीके से जारी रहा। हाल ही, SMS अस्पताल के विभागाध्यक्ष न्यूरोसर्जन मनीष अग्रवाल को रिश्वत प्रकरण में पकड़े जाने के बाद इस मामले में भी जांच आगे बढ़ाई गई और प्रकरण दर्ज किया गया। राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी की ओर से संचालित इन स्टोर्स में दवा आपूर्ति निविदा प्रक्रिया के तहत होती है।

सरकार को पहुंचाया आर्थिक नुकसान

प्रावधान के अनुसार, विलंबित आपूर्ति पर 2.5 से 10 प्रतिशत तक पेनल्टी वसूल की जानी चाहिए। एफआइआर में बताया गया है कि वर्ष 2012 से 2019 तक कुल 5.06 करोड़ रुपए की पेनल्टी योग्य राशि में से केवल 3.63 करोड़ रुपए ही वसूली गई, जबकि शेष 1.43 करोड़ रुपए की वसूली जानबूझकर रोकी गई। इस अवधि में पदस्थ रहे मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज, सहायक लेखाधिकारी, कनिष्ठ एवं वरिष्ठ सहायक, फार्मासिस्ट, मुख्य लेखाधिकारी और वित्तीय सलाहकार सहित कई अधिकारियों की सामूहिक जिम्मेदारी तय की गई है। स्वास्थ्य विभाग की 2019 की रिपोर्ट और वर्षों से लंबित पेनल्टी वसूली के आधार पर एसीबी ने प्रारंभिक प्रमाण मिलने पर एफआइआर दर्ज की है।

सॉफ्टवेयर में पेनल्टी एंट्री रोककर निजी फर्मों को फायदा

जांच में पाया गया कि, तत्कालीन फार्मासिस्ट सुनील कुमार मीणा और वरिष्ठ सहायक मदन लाल बैरवा ने मिलीभगत कर सॉफ्टवेयर में एमडी पेनल्टी की एंट्री नहीं की। इस कार्रवाई से निजी फर्मों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। एफआइआर में दोनों कर्मचारियों पर पद का दुरुपयोग कर राज्य सरकार को आर्थिक हानि पहुंचाने का आरोप दर्ज है। वर्ष 2019 में लाइफलाइन स्टोर में लगी आग को लेकर भी संदेह जताया गया है। जांच में यह संभावना खंगाली जा रही है कि कहीं आग का संबंध रिकॉर्ड नष्ट करने से तो नहीं था। एसीबी प्राथमिक जांच में इस बिंदु की भी पुष्टि कर रही है।