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Jhalana Jungle : घर नहीं, जंगल में रहती है शर्मीली, पूजा, तारा और सृष्टि

आरती, पूजा, बसंती, नाहर, राजा-रानी, चीनू, कृष्णा, सृष्टि, बहादुर, शर्मीली, टिमटिम, तारा, राणा...। जनाब... यह नाम बॉलीवुड अभिनेत्रियों के नहीं, जंगल की रानियों के हैं। अब टाइगर, पैंथर, लॉयन व उनके शावकों को इन्हीं नामों से पहचाना जाता है। अमूमन उनका नाम उनके स्वभाव और पसंदगी पर वनकर्मियों और वन्यजीव प्रेमियोंं द्वारा रखा जाता है।

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Jhalana Jungle

Jhalana Jungle

- झालाना दुनिया का इकलौता जंगल जहां पैंथरों की अलग-अलग नाम से पहचान

जयपुर. आरती, पूजा, बसंती, नाहर, राजा-रानी, चीनू, कृष्णा, सृष्टि, बहादुर, शर्मीली, टिमटिम, तारा, राणा...। जनाब... यह नाम बॉलीवुड अभिनेत्रियों के नहीं, जंगल की रानियों के हैं। अब टाइगर, पैंथर, लॉयन व उनके शावकों को इन्हीं नामों से पहचाना जाता है। अमूमन उनका नाम उनके स्वभाव और पसंदगी पर वनकर्मियों और वन्यजीव प्रेमियोंं द्वारा रखा जाता है। झालाना-आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व (Jhalana-Amagarh Leopard Reserve), रणथम्भौर नेशनल पार्क (Ranthambore National Park), नाहरगढ़ जैविक उद्यान (Nahargarh Biological Park), जोधपुर के माचिया जैविक उद्यान व उदयपुर के सज्जनगढ़ जैविक उद्यान (Udaipur Sajjangarh Biological Park) समेत अन्य वन अभयारणों में यह चलन तेजी से बढ़ा है। खास बात है कि झालाना दुनिया का इकलौता ऐसा जंगल (Jhalana Jungle) है जहां पैंथर्स की नाम से पहचान है। यहां करीब 45 से ज्यादा पैंथर हैं। इसी तरह रणथम्भौर नेशनल पार्क की बाघिन मछली पूरी दुनिया में विख्यात थी। उस पर डॉक्यूमेंटी भी बन चुकी है। उदयपुर के चिडिय़ाघर में सबसे खूंखार बाघ को उस्ताद नाम दिया गया। इसी तरह लॉयन सफारी के लॉयन का त्रिपुर, जीएस का तारा और लॉयनेस का सृष्टि नाम रखा गया है।

और फिर बन गई राधा
गत वर्ष नाहरगढ़ जैविक उद्यान में शाहपुरा के जंगल में करीब एक माह की मादा पैंथर शावक मां से बिछुड़ गई थी। जिस दिन उसे जैविक उद्यान लाया गया उस दिन राधा अष्टमी थी तो उसका नाम राधा रख दिया गया। यहां एक मादा भालू का नाम भी झुमरी रखा गया है।

आदतों से भी नामकरण
बाघ, बघेरे और उनके शावकों के पगमार्क, शरीर पर बनी धारियों, दबदबा व उनके इलाके के अनुसार उनका नाम रखा जाता है। हालांकि ये नाम आधिकारिक नहीं है। वन्यजीव प्रेमी और वनकर्मी इनकी आदतों के हिसाब से स्वत: इनका नाम रख देते हैं।- जनेश्वर चौधरी, रेंजर झालाना लेपर्ड रिजर्व

झालाना में इसलिए पड़े पैंथर्स के नाम
- आरती : माता के मंदिर की संध्या आरती में दिखती थी
-मिसेज खान : अमूमन खनन क्षेत्र में रहती है
-शर्मिली : सबसे कम दिखती है
-नथवाली : चेहरे पर नथनुमा निशान है
-टिमटिम : एक आंख टिमटिमाते नजर आती थी
-बहादुर : सबसे बड़ी टेरेटरी पर कब्जा जमा रखा है

झालाना-आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व (Jhalana-Amagarh Leopard Reserve), रणथम्भौर नेशनल पार्क (Ranthambore National Park), नाहरगढ़ जैविक उद्यान (Nahargarh Biological Park), जोधपुर के माचिया जैविक उद्यान व उदयपुर के सज्जनगढ़ जैविक उद्यान (Udaipur Sajjangarh Biological Park) समेत अन्य वन अभयारणों में यह चलन तेजी से बढ़ा है।

खास बात है कि झालाना दुनिया का इकलौता ऐसा जंगल (Jhalana Jungle) है जहां पैंथर्स की नाम से पहचान है। यहां करीब 45 से ज्यादा पैंथर हैं। इसी तरह रणथम्भौर नेशनल पार्क की बाघिन मछली पूरी दुनिया में विख्यात थी। उस पर डॉक्यूमेंटी भी बन चुकी है। उदयपुर के चिडिय़ाघर में सबसे खूंखार बाघ को उस्ताद नाम दिया गया। इसी तरह लॉयन सफारी के लॉयन का त्रिपुर, जीएस का तारा और लॉयनेस का सृष्टि नाम रखा गया है।

और फिर बन गई राधा
गत वर्ष नाहरगढ़ जैविक उद्यान में शाहपुरा के जंगल में करीब एक माह की मादा पैंथर शावक मां से बिछुड़ गई थी। जिस दिन उसे जैविक उद्यान लाया गया उस दिन राधा अष्टमी थी तो उसका नाम राधा रख दिया गया। यहां एक मादा भालू का नाम भी झुमरी रखा गया है।

आदतों से भी नामकरण
बाघ, बघेरे और उनके शावकों के पगमार्क, शरीर पर बनी धारियों, दबदबा व उनके इलाके के अनुसार उनका नाम रखा जाता है। हालांकि ये नाम आधिकारिक नहीं है। वन्यजीव प्रेमी और वनकर्मी इनकी आदतों के हिसाब से स्वत: इनका नाम रख देते हैं।- जनेश्वर चौधरी, रेंजर झालाना लेपर्ड रिजर्व

झालाना में इसलिए पड़े पैंथर्स के नाम
- आरती : माता के मंदिर की संध्या आरती में दिखती थी
-मिसेज खान : अमूमन खनन क्षेत्र में रहती है
-शर्मिली : सबसे कम दिखती है
-नथवाली : चेहरे पर नथनुमा निशान है
-टिमटिम : एक आंख टिमटिमाते नजर आती थी
-बहादुर : सबसे बड़ी टेरेटरी पर कब्जा जमा रखा है