
थड़ी से एसी रेस्टोरेंट का सफर, चाय के भी बदलने लगे रंग
जयपुर। अब तक बुजुर्गों की साथी समझे जाने वाली चाय की चाहत अब युवाओं में भी बढ़ रही है। शहरों में चाय के नए ‘अड्डे’ खुल रहे हैं। जहां अलसुबह से लेकर देर रात तक युवाओं की भीड़ जमा रहती है। समय के साथ चाय के प्रकार में भी परिवर्तन आया है। अदरक, मसाला चाय की जगह अब चॉकलेट, केसर और रोज चाय ले रही है। तंदूरी चाय भी युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय है। इसी लोकप्रियता के कारण ही राज्य में चाय की खपत भी तेजी से बढ़ रही है। सात करोड़ राजस्थानी हर साल 900 करोड़ रुपए की चाय पी रहे हैं। थड़ी-ठेले से लेकर फाइव स्टार होटलों में चाय का आनंद खूब लिया जा रहा है। लोग चाय भी ऑनलाइन मंगवा रहे हैं।
युवाओं ने शुरू किए चाय के स्टार्टअप
चाय की लोकप्रियता देखते हुए पढ़े -लिखे युवाओं ने चाय के स्टार्टअप शुरू किए हैं। राज्य के हर शहर के बड़े इलाकों में चाय के नाम से चार-पांच छोटे-बड़े रेस्टोरेंट्स खुले हुए हैं। जयपुर के लालकोठी में चाय का स्टार्ट अप चला रहे राहुल मूंदड़ा ने बताया कि चाय का काम शुरू करने की बात करते ही मम्मी-पापा ने विरोध किया था। उन्हें लगा ये तो थड़ी—ठेले पर बिकती है। मगर नई सोच के साथ काम शुरू किया और आज वही इस काम की तारीफ करते हैं। अपने पत्नी नेहा के साथ मिलकर राहुल काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि भले ही चाय में कई वैरायटी आ गई हो, लेकिन आज भी दूध वाली चाय सभी की पहली पसंद है। वहीं मानसरोवर में चाय का स्टार्टअप चला रहे युवा अनिल ने बताया कि युवाओं को चाय पिलाने के लिए उद्देश्य से छह साल पहले इसे शुरू किया था। उस समय तंदूर चाय का बिल्कुल प्रचलन नहीं था, आज युवाओं के बीच यह चाय फेमस है।
युवा बोले - चाय के साथ काम भी होता है और दोस्तों से मुलाकात भी
युवाओं में चाय का क्रेज जबर्दस्त है। दरअसल, कोरोना काल से काम का कल्चर भी बदला है। अब युवा रेस्टोरेंट में बैठकर चाय पीते हुए काम करते हैं। उन्हें वहां वाई-फाई भी मिल जाता है और चाय का आनंद भी ले पाते हैं।
एडवोकेट इंद्रपाल सिंह, साइकोथैरेपिस्ट मनीष नारंग और रवि सिंह तीनों घनिष्ठ मित्र हैं। तीनों रोजाना एक साथ चाय पीने आते हैं और एक—दूसरे के काम धंधे की बात करते हैं। इंद्रपाल ने बताया कि चाहे कितनी की वैरायटी आ जाए, लेकिन कुल्हड़ में दूध वाली चाय का स्वाद ही अनोखा है।
वहीं साक्षी त्रिपाठी, स्वास्ति सिंह, आकांक्षा चौधरी ने बताया कि कॉलेज के समय से चाय का अड्डा बना रखा है। किसी को कोई परेशानी हो या कोई खुशी का अवसर हो, उसी जगह मिलते हैं। अब वहां से यादें जुड़ गई हैं, नौकरी में होने के कारण रोजाना नहीं मिल पाती लेकिन वीकेंड पर तीनों इकट्ठा जरूर होती हैं।
गुजरात बना रहा चाय चुस्की केंद्र
गुजरात में चाय बोर्ड, चाय चुस्की केंद्र स्थापित करने जा रहा है। भारत की जी20 अध्यक्षता के मौके पर यह नवाचार किया जा रहा है। यह केंद्र गुजरात के केवडि़या में स्थापित किया जाएगा।
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चाय के फायदे और नुकसान
चाय एक एनर्जी ड्रिंक है। कैंसर से बचाव में चाय कुछ हद तक फायदेमंद साबित हो सकती है। इसके अलावा हृदय के लिए भी चाय फायदेमंद है। आर्थराइटिस और डायबिटीज कम करने में चाय सहायक रहती है। चाय का ज्यादा सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक भी है। अधिक चाय पीने से सीधे आंतों पर प्रभाव पड़ता हैं। इससे कब्ज बढ़ता और भूख भी कम हो जाती है। नियमित रूप से चाय पीने से हड्डियां भंगुर हो जाती हैं, रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, रक्तचाप बढ़ जाता है। अधिक चाय के सेवन से मोटापा भी बढ़ जाता है।
इतने प्रकार की चाय पी रहे लोग
- दूध चाय
- चॉकलेट चाय
- केसर चाय
- तंदूरी चाय
- व्हाइट चाय
- ब्लैक चाय
- ग्रीन टी
- लेमनग्रास टी
- रोज टी
- आइस टी
- ओलॉन्ग टी
फैक्ट फाइल :
- 900 करोड़ रुपए की चाय पी जाते हैं हर साल राजस्थानी
- 4.5 करोड़ किलो चाय की खपत होती है सालाना राज्य में
- 150 से 400 रुपए प्रतिकिलो तक चाय खासतौर पर बिक रही राज्य में
- 35 से 40 लाख किलो चाय की सालाना खपत है जयपुर में
(जयपुर थोक चाय व्यापार संघ के अनुसार)
Published on:
30 Dec 2022 12:20 pm
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