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गोविंददेवजी मंदिर में ज्येष्ठाभिषेक, भक्तों ने किए राधा-गोविंद के जुगल अभिषेक दर्शन

जयपुर. ज्येष्ष्ठ पूर्णिमा पर शनिवार को आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में ठाकुर श्रीजी और राधा रानी का एक साथ जुगल अभिषेक हुआ। मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में दोपहर को 12:30 से 1 बजे तक जलयात्रा उत्सव झांकी के दर्शन हुए। ठाकुरजी और राधा रानी ने श्रद्धालुओं को सफेद सूती पोशाक […]

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जयपुर. ज्येष्ष्ठ पूर्णिमा पर शनिवार को आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में ठाकुर श्रीजी और राधा रानी का एक साथ जुगल अभिषेक हुआ। मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में दोपहर को 12:30 से 1 बजे तक जलयात्रा उत्सव झांकी के दर्शन हुए। ठाकुरजी और राधा रानी ने श्रद्धालुओं को सफेद सूती पोशाक में पुष्प शृंगार में दर्शन दिए। इसके बाद पांच मिनट झांकी के पट मंगल किए गए। दुबारा पट खुलने पर ठाकुरजी को पांच तरह के फल, पांच तरह का दाल बिजोना, पंच मेवा, ठंडाई और लड्डू का भोग लगाया गया। जुगलवर के अभिषेक के दौरान चांदी की होदी को आगे से टाटी से ढका गया, जिससे श्रद्धालुओं के ठाकुरजी और राधा रानी के केवल मुखारविंद के ही दर्शन हुए। मंत्रोच्चार के बीच मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी सुगंधित शीतल जल से जुगलवर का अभिषेक किया।

वर्ष में केवल एक बार ही इसी दिन ठाकुरजी और राधा रानी का एक साथ अभिषेक होता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर राधाजी के विग्रह को दूसरे कक्ष में प्रतिष्ठित कर दिया जाता है, केवल ठाकुरजी के ही अभिषेक दर्शन होते है। इसी प्रकार राधाष्टमी को राधा जी के विग्रह को ठाकुरजी के विग्रह से आगे लाकर अभिषेक किया जाता है। इस दौरान ठाकुरजी के दर्शन नहीं होते। वर्ष में केवल एक बार ज्येष्ठ पूर्णिमा को ही गोविंददेवजी और राधाजी दोनों का एक साथ अभिषेक किया जाता है। श्री माध्वगौड़ीय संप्रदाय में इस जुगल अभिषेक दर्शन बहुत ही दुर्लभ बताया गया है।

बदलेगा ठाकुरजी का सिंहासन

ज्येष्ठाभिषेक के साथ ही ठाकुरजी का एक माह से चल रहा जलयात्रा उत्सव संपन्न हो गया। इसी दिन से ठाकुरजी का सिंहासन भी बदल दिया गया। अभी ठाकुरजी चांदी की होदी का सिंहासन पर विराजमान है। एकम से ध्वज पताका सिंहासन पर आरूढ़ होंगे।