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और.. फिर से खिल उठी कंकू के चेहरे पर मुस्कान

 कस्बे से पांच किमी दूर कालीवास पंचायत के बरवालिया भील बस्ती निवासी कंकू बाई के चेहरे पर आखिर फिर से मुस्कान लौट आई है। वह पांच दिन उदयपुर में उपचार लेने के बाद शुक्रवार देर रात अपने घर आ गई है। हालांकि चिकित्सकों ने उसे अभी लगातार दवा लेने की सलाह दी है। कमजोरी के चलते कंकू अभी पूरी तरह से बात नहीं कर पा रही है।

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jitendra saran

Dec 13, 2015

कस्बे से पांच किमी दूर कालीवास पंचायत के बरवालिया भील बस्ती निवासी कंकू बाई के चेहरे पर आखिर फिर से मुस्कान लौट आई है। वह पांच दिन उदयपुर में उपचार लेने के बाद शुक्रवार देर रात अपने घर आ गई है। हालांकि चिकित्सकों ने उसे अभी लगातार दवा लेने की सलाह दी है। कमजोरी के चलते कंकू अभी पूरी तरह से बात नहीं कर पा रही है।
राजस्थान पत्रिका ने 6 दिसम्बर को 'झरते आंसुओं से उसने बयां की बेबसीÓ 7 दिसम्बर को 'शुरू हुआ पीडि़ता का उपचारÓ समाचार प्रकाशित कर बरवालिया भील बस्ती निवासी कंकू की पीड़ा उजागर की। इस पर हरकत में आए प्रशासन व चिकित्सा महकमे ने उसका उपचार शुरू करते हुए उसे उदयपुर के महाराणा भोपाल चिकित्सालय रैफर किया। जहां पांच दिन चले उपचार के दौरान उसकी रोग संबंधी सभी जांच की गई एवं रोग निदान के लिए उपचार प्रारम्भ किया। कंकू की हालत में सुधार को देखते हुए चिकित्सकों ने उसे शुक्रवार को डिस्चार्ज किया। जब शनिवार को पत्रिका द्वारा पीडि़ता के हालचाल लिए तो उसने कहा कि वह पहले से बेहतर महसूस कर रही है। उसके चेहरे पर झलक रही मुस्कान उसकी राहत की कहानी बयां कर रही थी।
पत्रिका का जताया आभार
कंकू बाई और उसकी सास ने लगातार पत्रिका द्वारा उसकी मदद करने पर आभार जताया है। उनका कहना है कि अगर पत्रिका इस मामले को नहीं उठाता तो उसकी ओर कोई ध्यान नहीं देता। उदयपुर में भर्ती रहने के दौरान उसे जो पत्रिका ने सहारा दिया उससे ही उसके चेहरे पर एक बार फिर से मुस्कान लौटी है और जीने का जज्बा आया है।
यह था मामला
देलवाड़ा कस्बे से पांच किमी दूर कालीवास पंचायत के बरवालिया भील बस्ती निवासी कंकू बाई पत्नी आंसू गमेती ने वर्ष 2011 में देलवाड़ा स्वास्थ्य केंद्र पर नसबंदी ऑपरेशन करवाया।
ऑपरेशन के दो माह बाद से ही लगातार उसका स्वास्थ्य गिरता गया।