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Kartik Maas जानिए स्कंदपुराण में इसे क्यों कहा गया लक्ष्मी साधना के लिए सर्वोत्तम माह

1 नवंबर 2020 यानि रविवार को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इसी के साथ कार्तिक मास प्रारंभ हो गया है। कार्तिक माह में पवित्र नदी या जल से सूर्योदय के पूर्व स्नान करने का महत्व है। इससे हर तरह का सुख प्राप्त होता है। Kartik Snan Ka Mahatva

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Kartik Snan Ka Mahatva Kartik Maas Ka Mahatva

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जयपुर. 1 नवंबर 2020 यानि रविवार को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इसी के साथ कार्तिक मास प्रारंभ हो गया है। कार्तिक माह में पवित्र नदी या जल से सूर्योदय के पूर्व स्नान करने का महत्व है। इससे हर तरह का सुख प्राप्त होता है।

विष्णुजी की पूजा—अर्चना के साथ ही यह माह लक्ष्मी उपासना का भी है। ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि स्कंदपुराण में तो इस माह को मां लक्ष्मी की साधना के लिए सर्वोत्तम कहा गया है। कार्तिक माह में स्नान, दान, दीप दान करने से सांसारिक पाप का नाश होता है।

कार्तिक पूर्णिमा व्रत का भी बहुत ही महत्व है। इससे सूर्यलोक मिलता है और अग्निष्टोम यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा से प्रारम्भ करके हर माह की पूर्णिमा को व्रत रखने और रात्रि में जागरण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

स्कंद पुराण में कार्तिक माह की महिमा का निम्न प्रकार से वर्णन किया गया है—
न कार्तिक समो मासो, न कृतेन समं युगम्।
न वेद सदृशं शास्त्रं, न तीर्थं गंगा समम्।
हिंदी भावार्थ- कार्तिक के समान कोई माह नहीं है, सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगाजी के समान अन्य कोई तीर्थ नहीं है।

ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार मदन पारिजात में उल्लेख है कि पुण्य प्राप्ति के लिए कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व ही स्नान करना चाहिए। इसके बाद विष्णु पूजा करना चाहिए। इस माह में भूमि शयन करना चाहिए। भोजन के रूप में गेहूं, मूंग, दूध-दही—घी आदि का सेवन करें और मांसाहार, लहसुन, प्याज का सेवन न करें।