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केरल के राज्यपाल का पाकिस्तान पर निशाना, बोले— पाक सेना कभी भी भारत से रिश्ते सुधरने नहीं देगी

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि जब भी पाकिस्तान के किसी व्यक्ति ने भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश की है तो दो-तीन महीने में वहां उसका काम तमाम हो गया।

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उमेश शर्मा/जयपुर। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि जब भी पाकिस्तान के किसी व्यक्ति ने भारत के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश की है तो दो-तीन महीने में वहां उसका काम तमाम हो गया। पाकिस्तान में एकमात्र स्टेबल संस्था है आर्मी। पाकिस्तान आर्मी अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए कभी भारत से रिश्ते अच्छे नहीं होने देगी। खान शुक्रवार जयपुर में एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान की ओर से जम्मू कश्मीर राज्य का भारत में पूर्ण अधिमिलन विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि दुनिया के बाकी देशों में वहां की फौज होती है, पाकिस्तान में फौज के पास एक देश है।

उन्होंने कहा कि धारा 370 का इस्तेमाल कश्मीर को आतंकवाद का अड्डा बनाए रखने के लिए किया जा रहा था। कश्मीर के बगैर भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। 370 आर्टिकल टेंपरेरी था और उसे बहुत पहले हो जाना चाहिए लेकिन यह बहस का मुद्दा नहीं है। 370 आर्टिकल हटाने का ना तो कश्मीरी और ना ही कश्मीरियों के अधिकारों पर कोई फर्क पड़ेगा।

1988 से कश्मीर में प्रॉक्सीवार
खान ने कहा कि कश्मीर मे जो 1988 से जो चल रहा है, वह साधारण आतंकवाद नहीं बल्कि प्रॉक्सीवार है। इसका उदाहरण जनरल जिया उल हक का पाकिस्तान की सेना को दिया गया भाषण है। इसमें हक ने कहा था कि हम भारत से परम्परागत युद्ध में नहीं जीत सकते, इसलिए हमें भारत के सीने पर इतने घाव करने है कि वहां खून ही खून बह जाए। इसके लिए ऑपरेशन जिब्राल्टर शुरू किया गया और यह वहीं प्रॉक्सीवार है। ऐसे में मौजूदा सरकार ने कश्मीर पर जो फैसला किया है उसकी जितनी तारीफ की जाए, वह कम है।

आम कश्मीरी मजूबत होगा
खान ने कहा कि कश्मीर के लोग 1947 में ही भारत के साथ जुडऩे का फैसला कर चुके है। अब धारा 370 हटने के बाद भ्रम फैलाया जा रहा है कि इससे कश्मीरियों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जबकि हकीकत में यह फैसला कश्मीर की आम जनता को मजबूत करेगा। धारा 370 ही नहीं किसी भी तरह का विशेष प्रावधान सिर्फ ताकतवार लोगो को ही फायदा देता है।

पाकिस्तान को कश्मीर से कोई मतलब नहीं
खान ने कहा कि पाकिस्तान को कश्मीर से कोई मतलब नहीं है। वहां की सेना अपना प्रभुत्व कायम रखने के लिए इस मुददे को जिंदा रखना चाहती है। भारत एक विचार है और कश्मीर के बिना भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सरकार ने अपना काम कर दिया है, अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम कश्मीरियों को यह भरोसा दिलाएं कि वे हमारे ही लोग है।

अम्बेडकर ने इस धारा को लिखने से मना कर दिया
प्रतिष्ठान के संयोजक पूर्व सांसद डॉ महेश चंद्र शर्मा ने प्रारंभ में विषय की प्रस्ताव रखी और कहा कि धारा 370 का उस समय जबर्दस्त विरोध हुआ था। यह धारा 370 एकमात्र ऐसी धारा थी कि जिस पर संविधान सभा में कोई बहस नहीं हुई, क्योंकि इसे अस्थाई धारा के रूप में स्वीकार किया गया था। संविधान बनाने वाले डॉ. अम्बेडकर ने इस धारा रखने से मना कर दिया था।

बाद में गोपाल स्वामी आयंगर ने इसका प्रस्ताव रखा। शर्मा ने कहा कि धारा 370 भारत की संसद की सम्प्रभुता को चुनौती देती थी। बाद में इसे कश्मीरियत की पहचान बना दिया गया। भारत की सभी रियासतों का अधिमिलन सरदार पटेल कर गए थे। धारा 370 हटा कर अमित शाह ने इस रियासत का भी अधिमिलन करा दिया।