
kissa kile ka- Dausa Maheshwara kalan fort history in Hindi
दौसा/जयपुर। दौसा जिले के महेश्वराकला कस्बे में स्थित प्राचीन किला देखरेख के अभाव मे खण्डहर में तब्दील हो गया है। इसकी मरम्मत पर पुरातत्व विभाग भी ध्यान नहीं दे रहा है। किले के समीप बढ़ते अतिक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। वर्तमान में किले के चारों तरफ ग्रामीणों ने अतिक्रमण कर पक्का निर्माण शुरू कर दिया है। किले की दीवारें गिरने को कगार पर है। इससे हादसे की आशंका बनी हुई है।
जयपुर दरबार के अधीन था किला
पहले यह किला जयपुर दरबार मानसिंह के अधीन था। मित्रता के चलते राजा मानसिंह ने यह किला बख्शी राजपूत के हवाले कर दिया था। किले के अंदर एक विशाल सुरंग है। जो बाणगंगा नदी किनारे स्थित हनुमान मंदिर के नीचे कुएं में निकल रही है।
रानी के स्नान के लिए बनाई गई सुरंग
ग्रामीणों ने बताया कि रानी इस सुरंग से होकर स्नान करने के लिए बाणगंगा नदी पर जाती थी। पास में ही बाणेश्वर महादेव, हनुमान और शिव मंदिर हैं। रानी नहाने के बाद यहां पूजा अर्चना करती थी।
अंधेरी उजाली सुरंग
इस सुरंग में आधा अंधेरा आधा उजाला रहता है। इससे इसे अंधेरी उजाली सुरंग के नाम से जाना जाता है। किले के अंदर झरोखे बने हैं। जिन पर कलाकृतियां अंकित हैं। गढ़ के अंदर बड़ा चौक है। इसमें राजा न्याय सभा करता था। इसी चौक में भोमियाजी का प्राचीन मंदिर है। जिसमें आज भी नवविवाहित जोड़ा मत्था टेकने जाता है।
गढ़ के बाहर है प्राचीन कुआं
किला परिसर में बना कारागृह खंडहर हो चुका है। गढ़ के बाहर पानी के लिए प्राचीन कुआं है। जिस पर महिलाएं पानी भरने के लिए आया करती थी। गढ़ के चारों तरफ मिट्टी के बुर्ज बने हुए हैं। ताकि आक्रमणकारी कोई क्षति ना कर सके। गढ़ की चारों ओर खाई खुदी हुई है। भवन के अभाव में आज इस किले में ही विद्यालय संचालित हो रहा है।
Updated on:
03 Jul 2018 02:37 pm
Published on:
03 Jul 2018 02:35 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
