
kissa kile ka- Dausa gadh Himmat singh fort history in Hindi
दौसा/जयपुर। महुवा उपखंड क्षेत्र में गढ़हिम्मतसिंह का किला आज भी अपनी आन, बान व शान के रूप में पहचान बनाए हुए हैं। यह सब किले की उचित देखरेख के कारण संभव हो सका है। इसके चलते किला आज भी पूरी चमक के साथ अपने इतिहास की दास्तां कह रहा है। गढ़हिम्मतसिंह किले के पृथ्वीराज सिंह ने बताया कि यह किला कच्छावा वंश के नरूका गोत्र के गढ़ीसवाईराम से आए हिम्मतसिंह ने बनवाया था। गढ़ मतलब ठिकाना और हिम्मतसिंह मतलब राजा के नाम से आज गढ़हिम्मतसिंह कस्बा बसा हुआ है। वैसे गढ़हिम्मतसिंह कहने को तो छोटा सा कस्बा है, लेकिन इसकी बसावट जयपुर शहर जैसी है। जो कि राजा हिम्मतसिंह के कारण उस समय के इंजीनियर्स के द्वारा ही संभव हो सकी थी। गांव की प्रत्येक गली मुख्य सड़क पर आकर रुकती है। ये जयपुर की बसावट की तरह ही नमूना है।
जयपुर राजघराने के अधीन था किला
गढ़ हिम्मतसिंह का यह किला जयपुर राजघराने के अधीन था और यहां की सेना जयपुर राजघराने के अधीन दुश्मनों से युद्ध लड़ने जाया करती थी। गढ़हिम्मतसिंह किले को जब विजयसिंह ने संभाला तो उनकी उम्र मात्र चौदह वर्ष थी, लेकिन उनकी सोच बड़ी थी।
किले के बीचों-बीच रखी है भवानी तोप
किले के बीचों बीच भवानी तोप रखी हुई है। किले में रह रही पीढ़ी ठाकुर हिम्मतसिंह की सत्रहवीं पीढ़ी है और किले में रह रहा परिवार अब पर्यटन क्षेत्र से जुड़ चुका है।
विदेशी पर्यटकों को कराते हैं रूबरू
किले में आने वाले विदेशी पर्यटकों को ग्रामीण सभ्यता से रूबरू कराकर किले में ही बने कमरों में ठहराया जाता है। साथ ही किले में ठाकुर विजयसिंह को भौमिया के रूप में पूजा जाता है। इस स्थान पर आकर स्थानीय निवासी सहित बाहर से ग्रामीण मन्नत मांगने आते हैं। मन्नत पूरी होने पर प्रसादी वितरण का आयोजन किया जाता है।
रिंग पैलेस में तैयार होती थी रणनीति
किले के अन्दर सीक्रेट कांफ्रेस रूम अर्थात रिंग पैलेस बनवाया। जिसमें डबल दीवार बनवाई गई थी।
Published on:
26 Jun 2018 04:30 pm
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