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इस गणेश चतुर्थी पर जानिए विनायक कैसे बने गजराज?

गजानंद के जन्म को लेकर कई तरह की कहानियां आपने पढ़ी और सुनी होंगी, एक कहानी ये भी है कि विनायक का जन्म मां पार्वती के अकेलेपन को दूर करने के लिए किया गया था।

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why lord ganesh known as ganpati

why lord ganesh known as ganpati

गजानंद के जन्म को लेकर कई तरह की कहानियां आपने पढ़ी और सुनी होंगी, एक कहानी ये भी है कि विनायक का जन्म मां पार्वती के अकेलेपन को दूर करने के लिए किया गया था। मां पार्वती अपने पुत्र कार्तिकेय से दूर नहीं होना चाहती थी और इस लिए उन्होंने हल्दी के उबटन से बाल गणेश की प्रतिमा बना दी और अपनी शक्ति का उपयोग कर मूर्ति में प्राण फूंक दिए। इतना ही नहीं उन्हें कई तरह के शक्तिशाली वरदान भी दिए।

पौराणिक कथा में ये बताया गया है कि मां पार्वती जब स्नान के लिए गई तब उन्होने बाल गणेश को पहरा देने कहा साथ ही ये आदेश दिया कि उनकी अनुमति के बिना कोई भीतर नहीं आ पाए। थोड़ी ही देर में महादेव वहां पहुंच गए और भीतर जाने लगे, तब एकदन्त ने उन्हें रोका और भीतर नहीं जाने को कहा। भोलेनाथ ने इसे बाल हट समझा और ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब गणेश नहीं माने और महादेव को भीतर ना जाने की चुनौती देने लगे तो क्रोधित होकर भोलेनाथ ने त्रिशुल चला दिया और क्षण भर में ही बाल गणेश का सिर धड़ से अलग हो गया। जब मां पार्वती स्नान कर बाहर आई तो उन्हें पूरी घटना की जानकारी मिली, वो काफी देर तक पुत्र विलाप करती है और फिर उन्होने भोलेनाथ से गणेश को फिर से जीवित करने की मांग की।

महादेव ने बाल गणेश में प्राण डालने का काम भगवान विष्णु को सौंप दिया, फिर भगवान विष्णु ने एक शर्त के साथ अपने सुदर्शन च्रक को रवाना कर दिया। सुदर्शन च्रक एक हथिनी के बच्चे का मस्तक ले आया जिसे देख सभी हैरान हो गए। भगवान विष्णु से सवाल करने लगे कि आखिर एक हाथी के बच्चे का मस्तक बाल गणेश के लिए क्यों आया है इस पर भगवान विष्णु ने जवाब दिया कि उनके शर्त के अनुसार आदेश दिया गया था कि जो माता अपने पुत्र की तरफ पीठ कर सो रही हो, उसी का ही मस्तक ले आना। इस कारण से हाथी का ही मस्तक मिला।