प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देश में 13 से 15 अगस्त तक हर घर में तिरंगा लगाने का अभियान चलाया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत की तिरंगे को लेकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री रहे जवाहर लाल नेहरू के साथ एक अलग ही वाकया है।भागवत ने विज्ञान भवन में हुए एक सम्मेलन में विस्तार से उल्लेख किया है। जिसे इत्मीनान से आप वीडियो में देख सकते हैं।
सुनिए तिरंगे पर क्या हैं भागवत के विचार
…नेहरू याद आते हैंकांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी डीपी बदल दी है। राहुल गांधी ने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की हाथ में तिरंगा वाली तस्वीर की डीपी लगाई है। अब नेहरू की तिरंगे लिए तस्वीर वायरल हो रही है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया अकाउंट की प्रोफाइल में ‘तिरंगा’ लगाने का अनुरोध किया था। कांग्रेस ने इसका अपने तरीके से नेहरू की तस्वीर लगाकर अलग अंदाज में आजादी की बात कही है। वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया है कि वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में रावी नदी के तट पर झंडा फहराते हुए पंडित नेहरू ने कहा था ‘एक बार फिर आपको याद रखना है कि अब यह झंडा फहरा दिया गया है. जब तक एक भी हिंदुस्तानी मर्द, औरत, बच्चा जिंदा है, यह तिरंगा झुकना नहीं चाहिए.’ देशवासियों ने ऐसा ही किया।
…क्या आरएसएस अपने डीपी पर लगाएगा तिरंगा
एक तरफ कांग्रेस के नेता तिरंगे के सम्मान में नेहरू वाली तस्वीर लगा रहे हैं तो दूसरी तरफ जयराम नरेश ने सवाल दाग दिया है कि जिन्होंने अपने मुख्यालय पर आजादी के बाद 52 साल तक तिरंगा नहीं फहराया, क्या वे प्रधानमंत्री की बात मानेंगे? उन्होंने कहा, ‘हम हाथ में तिरंगा लिए अपने नेता नेहरू की डीपी लगा रहे हैं लेकिन लगता है प्रधानमंत्री का संदेश उनके परिवार तक ही नहीं पहुंचा। जिन्होंने 52 वर्षों तक नागपुर में अपने मुख्यालय में झंडा नहीं फहराया, वे क्या प्रधानमंत्री की बात मानेंगे?’
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…लालकिले पर सबसे ज्यादा बार नेहरू ने फहराया तिरंगा
दिल्ली दरबार की सियासत भले ही पिछले एक दशक में बदल गए लेकिन छह दशकों में सबसे ज्यादा बार लालकिले की प्राचीर से तिरंगा फहराने का रिकार्ड अभी भी पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नाम पर है। इन्होंने 17 बार लालकिले पर तिरंगा फहराया है। नेहरू के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 16 बार तिरंगा फहराया है। गुलजारी लाल नंदा और चंद्रशेखर देश के ऐसे प्रधानमंत्री रहे जिन्होंने एक बार भी तिरंगा फहराने का अवसर न मिला।