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Kotputali : प्राकृतिक खेती से महकेगी जिले की धरती, घटेगी लागत, बढ़ेगी मिट्टी की सेहत और उपज की गुणवत्ता

कोटपूतली-बहरोड़ जिले की खेती में प्रकृति की महक आएगी। केंद्र व राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत कोटपूतली-बहरोड़ जिले को 2000 हैक्टेयर भूमि पर रासायनिक खेती की जगह प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य मिला है। इस पहल से जिले के 5000 किसान सीधे तौर पर इस योजना से जुड़ेंगे और लाभान्वित होंगे।

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जयपुर

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Murari

May 15, 2025

- 5000 किसान करेंगे रासायन मुक्त खेती, 2000 हैक्टेयर भूमि का हरित लक्ष्य

- अब खेतों में बहार लाएगा जीवामृत, बीजामृत और जैविक मल्चिंग का प्रयोग

जयपुर। कोटपूतली-बहरोड़ जिले की खेती में प्रकृति की महक आएगी। केंद्र व राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत कोटपूतली-बहरोड़ जिले को 2000 हैक्टेयर भूमि पर रासायनिक खेती की जगह प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य मिला है। इस पहल से जिले के 5000 किसान सीधे तौर पर इस योजना से जुड़ेंगे और लाभान्वित होंगे। संयुक्त निदेशक कृषि महेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा जिले को 40 क्लस्टरों में विभाजित किया गया है जिनमें प्रत्येक क्लस्टर में 125 किसानों को शामिल किया जाएगा। प्रत्येक किसान को 0.4 हैक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक तरीके से खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा। योजना पर कुल 1584 करोड़ रुपए का खर्च प्रस्तावित है, जिसमें 60% राशि केंद्र और 40% राज्य सरकार वहन करेगी।

रसायन मुक्त खेती की ओर बदलाव

प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का पूरी तरह से परित्याग किया जाएगा। इसकी जगह बीजामृत, जीवामृत, नीमास्त्र, दशपर्णी, सूक्ष्मजीवों से युक्त खाद, जैविक मल्चिंग और पारंपरिक बीजों का उपयोग किया जाएगा। साथ ही मानसून पूर्व शुष्क बुवाई, बहु-फसली खेती, पशुधन आधारित कृषि और खेत के चारों ओर हरित बफर जोन का निर्माण भी किया जाएगा।

किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण, महिलाओं व जनजाति क्षेत्रों को प्राथमिकता

प्रत्येक पंचायत स्तर पर किसानों को प्रशिक्षण देकर क्लस्टर समूहों का गठन किया जाएगा।इन समूहों के माध्यम से किसान प्राकृतिक खेती के लिए आवश्यक ट्रेनिंग प्राप्त कर बिना किसी हानिकारक रसायनों के प्रयोग के भी उन्नत फसल पैदा कर सकेंगे।इस संबंध में उन्हें संबंधित किताबें, पत्रिका, गाइडलाइन और प्रशिक्षण आदि दिया जाएगा। लघु, सीमांत और महिला कृषकों को विशेष प्राथमिकता दी जाएगी। अनुसूचित जाति-जनजाति बहुल क्षेत्रों में अलग क्लस्टर बनाए जाएंगे। प्रशिक्षण, जैविक उत्पाद निर्माण और तकनीकी मार्गदर्शन पंचायत स्तर पर दिया जाएगा। साथ ही मानसून सत्र से योजना लागू होते ही किसानों को सिंचाई के लिए सोलर माइक्रो इरिगेशन प्रणाली का लाभ भी मिलेगा।

आवेदन और पात्रता के नियम

भूमि स्वामित्व वाले किसानों के साथ-साथ नेशनल शेयरधारक प्रमाणपत्र वाले कृषकों, वनाधिकार पट्टा धारक, लघु एवं सीमांत किसान, महिला कृषक और अनुसूचित जाति-जनजाति किसानों को योजना में प्राथमिकता दी जाएगी। चयनित किसानों का पंजीकरण राज किसान पोर्टल पर किया जाएगा।

स्थानीय क्लस्टरों को मिलेगा नाम, उत्पादक संगठनों से जुड़ेंगे किसान

प्रत्येक क्लस्टर को स्थानीय पहचान के अनुसार नाम दिया जाएगा और उन्हें ग्राम पंचायत स्तर पर बने कृषक उत्पादकता संगठनों से जोड़ा जाएगा। योजना के तहत किसानों को अनुदान भी मिलेगा। शेष लागत उन्हें स्वयं वहन करनी होगी।

इनका कहना है

यह योजना जिले में मानसून सत्र से लागू होगी और यह कृषि क्षेत्र में एक हरित क्रांति के रूप में साबित होगी। इससे किसानों की इनपुट लागत घटेगी, उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ेगी और बाजार में जैविक उत्पाद का मूल्य भी बेहतर मिलेगा। तीन से चार साल लगातार प्राकृतिक खेती से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होगा।

- महेन्द्र कुमार जैन, संयुक्त निदेशक, कृषि विस्तार, कोटपूतली-बहरोड़