
राजस्थान पुलिस के रियल सिंघम IPS दिनेश एमएन को लेकर अब आई ये बड़ी खबर
जयपुर/मुंबई। सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को गुजरात के पूर्व एटीएस प्रमुख डीजी वंजारा समेत गुजरात और राजस्थान कैडर के आइपीएस अधिकारी दिनेश एमएन सहित पांच पुलिसकर्मियों को बरी करने का फैसला बरकरार रखा।
वहीं, हाईकोर्ट ने गुजरात पुलिस के अधिकारी विपुल अग्रवाल को भी बरी कर दिया। मुठभेड़ से जुड़े मामले में अग्रवाल सह आरोपी थे। उन्होंने ट्रायल कोर्ट द्वारा बरी करने की याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती दी थी।
कोर्ट के फैसले के बाद बीकानेर पुलिस रेंज के आईजी दिनेश एमएन ने कहा कि हमें न्याय व्यवस्था पर पूर्ण भरोसा है और इस निर्णय से सभी खुश है। जस्टिस एएम बदर ने कहा कि पुलिसकर्मियों को बरी करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं में कोई दम नहीं है।
निचली अदालत ने इस मामले में डीजी वंजारा के अलावा गुजरात के आइपीएस राजकुमार पांडियन, गुजरात पुलिस के अधिकारी एनके अमीन, राजस्थान कैडर के आइपीएस दिनेश एमएन और राजस्थान पुलिस के कॉन्स्टेबल दलपत सिंह राठौड़ को बरी कर दिया था।
वहीं गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि सोहराबुद्दीन कभी आतंकियों गब्बर-सिंघम जैसे नामों से संबंध थे। सीबीआइ ने दलपत सिंह राठौड़ और एनके अमीन, जबकि सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन ने दिनेश, पांडियन और वंजारा को निचली अदालत द्वारा आरोपमुक्त किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। 16 जुलाई को हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह हो गए थे बरी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला गुजरात से मुंबई की विशेष अदालत में स्थानांतरित किया गया था। विशेष अदालत ने अगस्त 2016 और सितंबर 2017 के बीच 38 आरोपियों में से 15 को आरोपमुक्त कर दिया था। इन लोगों में 14 पुलिस अधिकारी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह शामिल हैं।
यह था मामला
आरोपपत्र के मुताबिक, गुजरात एटीएस व राजस्थान पुलिस के अफसरों ने संदिग्ध गैंगस्टर सोहराबुद्दीन शेख को 26 नवंबर 2005 को एक फर्जी मुठभेड़ में मारा था। राजस्थान पुलिस के अफसरों ने सोहराबुद्दीन के साथी तुलसीराम प्रजापति को दिसंबर 2006 में एक अन्य मुठभेड़ में मारा था।
Updated on:
11 Sept 2018 10:17 am
Published on:
11 Sept 2018 10:16 am
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
