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जितनी जरूरत उतना उपयोग बाकी अन्य के लिए छोड दो-कलराज मिश्र

राष्ट्रीय नीति के सांस्कृ तिक आधार विषय पर तीन दिवसीय जयपुर डायलॉग शुरू

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जितनी जरूरत उतना उपयोग बाकी अन्य के लिए छोड दो-कलराज मिश्र

जितनी जरूरत उतना उपयोग बाकी अन्य के लिए छोड दो-कलराज मिश्र

जयपुर।

जयपुर शहर में शनिवार को जेएलएन रोड पर एक निजी होटल में राष्ट्रीय नीति के सांस्कृतिक आधार विषय पर जयपुर डायलॉग कार्यक्रम शुरू हुआ। कार्यक्रम के पहले दिन कई सत्र आयोजित हुए। दूसरे सत्र में राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी, डॉ. सीके राजू और लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हुसैन ने देश के ज्वलंत मुददों के उपर अपने विचार रखे।
राज्यपाल कलराज मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि हमें समाज के अंदर सबको साथ लेकर चलने की सोच विकसित करनी होगी। समाज में आत्म अनुशासन पैदा करना होगा । मिश्र ने कहा कि हमे उतना ही उपभोग करना चाहिए जतनी जरूरत है। आवश्यकता से अधिक समाज के लिए छोड देना चाहिए। मिश्र ने कहा कि हम प्रणायम इस लिए करते हैं कि शरीर स्वस्थ्य रहे। अब समाज स्वस्थ्य रहे इसके लिए अर्थायाम करना चाहिए यानि उत्पादन से लेकर वितरण तक सभी का बराबर अधिकार होना चाहिए।

सदियों तक देश गुलाम रहा लेकिन संस्कति नष्ट नही हो सकी। चाणक्य ने सबसे पहले भारत माता की जय बोलना शुरू किया। खगोल विज्ञान,भूगोल विज्ञान हमारे यहां विकसित हुए। ज्योतिष विज्ञान का अध्ययन बिना खगोल विज्ञान को जाने संभव नहीं है। योग से हमारे ऋषि मुनि उडकर कही भी चले जाते थे। अधिकांश आविष्कार कहीं हमारे यहां हुए जिन्हें वैज्ञानिक भी मानते हैं। मिश्र ने कहा कि अठहारण पुरणों में पुणय और पाप दो ही वचन हैं। यदि हम परोपकार करेंगे तो पुण्य प्राप्त होगा और किसी को कष्ठ देंगे तो पाप के भागीदार बनेंगे।

इसलिए आए चीनी राष्ट्रपति महाबलीपुरम
कल्चरण फाउंडेशन ऑफ नेशनल पॉलिसी पर बोलते हुए भाजपा प्रवक्ता और राज्यसभा सांद सुधांशु त्रिवेदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महाबलीपुरम यात्रा को लेकर चर्चा की। त्रिवेदी ने कहा कि सातवीं शताब्दी में महाबलीपुरम के राजा बौध धर्म की दीक्षा लेकर चीन के हेरान प्र्रांत चले गए और पूरे प्रांत में बौध धर्म का प्रचार-प्रचार किया। यानि हम चीने के लिए हम प्रेरणा के स्रोत हैं। त्रिवेदी ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति जी शिनपिंग भी हेरान प्र्रांत के है। बौध धर्मगुरु की धरती पर आकर उन्होंने उनके प्रति श्रद्ध प्रकट की है। अब ऐसी यात्राओं की एक पॉलिसी भी होती है।

नेशनल सिक्योरिटी का मतलब बार्डर सिक्योरिटी नहीं है
कार्यक्रम के कल्चरल फाउंडेशन आफ नेशनल पॉलिसी विषयक सत्र आयोजित हुआ। सत्र में नेशनल सिक्योरिटी पर बोलते हुए लेफटिनेंट जनरल सैयद अता हुसैन ने कहा कि आज देश में माइंड सेट ही ऐसा बन गया है कि नेशनल सिक्योरिटी का आर्थ सीधे बार्डर से लगाया जाता है। जबकि यह पूरी तरह से गलत है। नेशनल सिक्योरिटी का अर्थ है फूड सिक्योरिटी,एज्यूकेशन, इंडस्ट्रीयलाइजेशन,डवलममेंट भी होता है। आज के समय इंट्रनल सिक्योरिटी भी बेहद जरूरी है। बीते 70 सालों में बाते तो बहुत हुई लेकिन देश में नेशनल सिक्योरिटी यूनिवर्सिटी नहीं बन सकी। जबकि राजस्थान में पुलिस पुलिस यूनिवर्सिटी की स्थापना बहुत पहले हो चुकी है। हम लोंग टर्म प्लानिंग तो करते ही नहीं हैं। हम क्यो 5-10 साल की जगह 2050 तक की प्लानिंग नहीं करते।

70 साल में भी नहीं बदल सके उपनिवेशिक शिक्षा को

सत्र मे ही देश की शिक्षा नीति पर पर डॉक्टर सीके राजू ने विचार व्यक्त किए। डॉ सीके राजू ने कहा कि मौजूदा शिक्षा नीति उपनिवेशवाद से मुक्त नही हो पाई है। आज भी वही पुराना ढर्रा चल रहा है। हमने इसे सत्तर साल में बदला नहीं है और इसे नहीं बदलने का श्रेय ले रहे है। । इसे बदलना बहुत जरूरी हैै क्योंकि यह हमारे बच्चों पर हावी हो रही है। उपनिवेशिक शिक्षा किसी न किसी विचारधारा से पोषित थी। इस शिक्षा मे एक भी शब्द नही बदला गया। पश्चिमी शिक्षा चर्च की शिक्षा है ये कोई धार्मिक शिक्षा नहीं है। ज्यादातर चर्च राजनीतिक संगठन थे । आजादी से हमे पूर्ण स्वराज नहीं मिला। अब हमे स्वराज की जरूरत है। आज की तारीख में हम इस शिक्षा को क्रिटीकली परीक्षण नहीं कर रहे है। हमारे हमने पश्चिम की सभी चीजों को ग्र्रहण किया है। मैने गणित पर रज्जू गणित लिखी है और में पूछता हूं कि क्या उसे पढाने की हिम्मत है आज। अंग्र्रेजी की किताबों का हिंदी में अनुवाद हुआ है ये किसी की समझ में नहीं आती हैं। मेरे भी समझ में नहीं आता है तो बच्चे की समझ में क्या आएगा। मैने कोण का उदाहरण दिया है लेकिन 18वीं शताब्दी के बाद तो यह शब्द ही नहीं है। अब हमारे बच्चों पर पश्चिमी शिक्षा हावी हो रही है