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एक कविमना पुलिसवाले का कहना है, मानवता के खातिर… सबको घर में रहना है…

राजस्थान पुलिस के एक डीवायएसपी सुनील प्रसाद शर्मा इन दिनों रोजाना 17-18 घंटे काम करके कोरोना को हराने में जुटे हैं, वे कवि भी हैं, अपनी कविताओं के जरिए भी वे लोगों को जागरूक कर रहे हैं, उनकी कलम से निकला एक भावुक संदेश...

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जयपुर

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Uma Mishra

Apr 05, 2020

एक कविमना पुलिसवाले का कहना है, मानवता के खातिर... सबको घर में रहना है...

एक कविमना पुलिसवाले का कहना है, मानवता के खातिर... सबको घर में रहना है...

जयपुर. सुनील प्रसाद शर्मा, पुलिस उप अधीक्षक, महिला अपराध अनुसंधान सेल, जयपुर ग्रामीण, कहते हैं, मैंने अपनी 24 साल की पुलिस सेवा में अनेक उतार-चढ़ाव देखे। अनेक बार कानून व्यवस्था की विकट समस्या, दंगे, फसाद, प्राकृतिक आपदा और न जाने कैसी-कैसी परिस्थितियां देखी हैं, पर सच मानिए, मानव जाति पर ऐसा संकट नहीं देखा था।

ऐसा विकट समय देखना तो दूर, यह तो कल्पना से भी परे है। ये घोर विपत्ति न केवल एक गांव, बस्ती, शहर या देश की है, वरन सम्पूर्ण विश्व की है, पर गर्व की बात यह है कि अनेक लोग इस आपदा से लडऩे को जी जान से तैयार हैं। राजस्थान पुलिस इस महामारी से लडऩे के लिए कटिबद्ध है।

इस भीषण महामारी से लडऩे के क्रम में जब मैं 17-18 घंटे की अनवरत ड्यूटी के बाद आपातकालीन कंट्रोल रूम से ड्यूटी समाप्ति के पश्चात निकलता हूं, तब भी मन में एक ही खयाल रहता है कि न जाने किसी ममतामयी मां का, फिक्रमंद पिता का, मेहनतकश किसी किसान, व्यापारी, प्रतीक्षारत किसी पत्नी या जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे किसी पति का फोन आ जाये और जाते -जाते कुछ और आत्मिक संतोष और मानवीय संवेदनाओं-सहायता से उपजा सुख लेता चलूं।


वे आगे कहते हैं, मित्रो, मेरे शरीर की थकावट मेरे हौसलों और मानवीय संवेदनाओं के आगे बौनी है। ऐसी मुश्किल इम्तिहान देने का मौका सबको नहीं मिलता। इस मौके को गंवाकर मानव जन्म को निर्रथक साबित करने का अपराध नहीं कर सकता। ऐसी भीषण त्रासदी में अपनी ड्यूटी के दौरान कई धरातलीय परिस्थितियों और घटनाओं से रोज दो चार होना पड़ रहा है, जो अंदर तक हिला देती हैं।


पुलिस पर मंडराते खतरे का भी जिक्र किया और कहा, दिन रात जनता की सेवा करती पुलिस के पास संक्रमण से बचने के कोई आवश्यक साजोसामान नहीं है, बावजूद इसके हौसले और जोश से हम आप सबकी सुरक्षा की खातिर जुटे हैं। आप सब से अपील भी करना चाहूंगा कि सरकार और प्रशासन के दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज करके हमारी मेहनत पर पानी मत फेरिये। लॉकडाउन के निर्देशों की पालना करें, घर से वेवजह बाहर नहीं निकलें।

आपकी सुरक्षा की खातिर हम जान जोखिम में डाल कर सड़क पर है, आप घरों में रहें। जय हिंद।

इस भावुक संदेश के साथ उन्होंने अपनी एक कविता भी सुनाई-

तू छोड़ ना उम्मीदों का दामन, ना भर मन में व्यर्थ विषाद
मरघट के सन्नाटे से ही फिर गूंजेगा जीवन का ब्रह्म नाद
मानवता के खातिर अब हर मानव को घर में रहना होगा,
महक उठेंगी खामोश फिजायें, होगा फिर से जीवन का संवाद।