कांग्रेस तो पहले जयपुर और फिर दिल्ली में हुई बैठक में अंतिम रूप से तय किए गए 50 दावेदारों के पैनल पर चर्चा कर चुकी है। अब इस पर अंतिम निर्णय किया जाएगा। भाजपा के मुकाबले कांग्रेस में उम्मीदवार चयन को लेकर ज्यादा मशक्कत है। कांग्रेस की कई सीटों पर अभी भी उम्मीदवारों को लेकर पेशोपेश में है। सूत्रों के अनुसार कई उम्मीदवार जिन्हें पार्टी जहां से मैदान में उतारना चाह रही है उसकी बजाय वे दूसरी सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे हैं।
परिवारवाद की छाया
कांग्रेस और भाजपा दोनों के प्रत्याशियों में परिवारवाद की छाया भी नजर आएगी। कांग्रेस में करीब दर्जनभर सीटों पर नेताओं के परिवार के ही किसी सदस्य को मौका देने पर विचार किया जा रहा है। वहीं भाजपा में आधा दर्जन सीटें पर परिवारवाद की चपेट में हैं। कांग्रेस में कुछ सीटों पर तो परिवार के ही दो व्यक्तियों के नामों पर चर्चा चल रही है।
मुस्लिम उम्मीदवार को लेकर असमंजस
कांग्रेस में चूरू सीट पर फिलहाल मुस्लिम उम्मीदवार के नाम पर ही चर्चा है। लेकिन इस सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार की जीत आसान नहीं होने के चलते ऐनवक्त पर दूसरा उम्मीदवार भी उतारा जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो आने वाले समय में किसी मुस्लिम नेता को राज्यसभा में भेजा जा सकता है। वहीं, भाजपा मुस्लिम उम्मीदवार के मामले में इस बार भी 2014 की कहानी दोहराती दिख रही है। अब तक जो संभावित उम्मीदवारों के नाम छांटे हैं, उसमें एक भी नाम मुस्लिम का नहीं है।