
Maharana Pratap Auditorium
आंगन में जब धूप आकर गिरती है, तब लम्बी-लम्बी परछाइयां मेरा पीछा करती नजर आती हैं। अतीत का बवंडर आज भी आंखों में दर्द भर देता है। एेसे ही कुछ डायलॉग नाटक की गंभीरता को बयां करते नजर आए। सुरनयी संस्था की ओर से महाराणा प्रताप सभागार में के.के. रैना निर्देशित 'पीछा करती परछाइयां की सफल प्रस्तुति हुई।
मंच पर नजर आए एक्टर के.के. रैना, इला अरुण और राहुल बग्गा
अंतरध्वनि प्रोडक्शन की प्रस्तुति में इला अरुण, के.के. रैना, राहुल बग्गा और डोना मुंशी ने दमदार अभिनय से तालियां बटोरी। नाटक राजपुरोहित (रैना) और बायसा (इला) के बीच की तकरारों पर आधारित था, इन तकरारों में सामाजिक जीवन के साथ प्राचीन रीति रिवाजों के द्वंद्व को दिखाया गया। दोनों के बीच के संवाद में मॉडर्न अंदाज और पुरानी परम्पराओं पर कटाक्ष खास था
जहां पुरोहित राज परिवार के युवराज को फैशन डिजाइनर बनने पर आपत्ति दर्ज करवाते है, वहीं युवराज वेस्टर्न कल्चर को बेस्ट बताता है। रानी महिलाओं के दर्द और रूढि़वादी परम्पराओं को समझाती है। म्यूजिक कहानी को सार्थक बनाने में कामयाब साबित होता है, जिसमें इला की आवाज राजस्थानी मिठास का अहसास करवाती है। हेनरिक इबशन की कहानी पर आधारित नाटक का अडेप्टेशन इला ने किया।
Published on:
18 Feb 2017 10:44 am
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