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यहां जान जोखिम में डालकर रस्सी के सहारे नदी पार करते हैं लोग, 5 मौतों के बाद भी नहीं जागे जिम्मेदार

MP News : जान जोखिम में डालकर यहां ग्रामीण रस्सी के सहारे नहीं पार करने को मजबूर हैं। कुछ साल पहले यहां ए दुर्घटना में 5 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, ग्रामीण हर विभाग का दरवाजा खटखटा चुके हैं, बावजूद इसके अबतक उनकी इस गंभीर समस्या का निराकरण नहीं हुआ है।

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रस्सी के सहारे ग्रामीणों की जान (Photo Source- Patrika Input)

MP News :मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के अंतर्गत आने वाले जावरा अनुभाग के अंतर्गत आने वाले ग्राम बानीखेड़ी में मलेनी नदी पर एक स्टाप डेम बना है। डेम की नदी के पार 300 बीघा जमीन के किसानों को अपने खेतों पर जाने के लिए जान जोखिम में डालने की मजबूरी है। ग्रामीण ही नहीं, अपने मवेशी भी इसी तरह ले जाने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि, वो अबतक हर जिम्मेदार के दर पर आवेदन दे चुके हैं, लेकिन किसी ने इनके लिए किसी प्रकार का सकारात्मक कदम नहीं उठाया। बता दें कि, कुछ समय पहले इसी तरह जाते हुए एक नाव पलट गई थी, जिसमें 5 ग्रामीणों की मौत हो गई थी।

मीणाखेड़ा पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम बानीखेड़ी में मलेनी नदी पर स्टॉप डैम बने 10 साल हो गए हैं। साल के इन दिनों में यहां सबसे अधिक पानी भरा रहता है। गांव एक तरफ है, जबकि दूसरी तरफ किसानों के खेत हैं। स्टाप डेम की पाल पर पानी भरा रहने से हादसे का खतरा बना रहता है, इसलिए ग्रामीणों ने यहां से निकलना बंद कर दिया है। विगत सालों में यहां पर 5 ग्रामीण अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके बावजूद इनके लिए स्थाई व्यवस्था नहीं की गई है।

पत्नी और बेटे की मौत

ग्रामीण दौलत राम चंद्रवंशी ने बताया कि, 'नदी पर स्टॉप डैम पार करते समय मेरी पत्नी रेखा वह 4 साल का बेटे किशन का पैर फिसल गया था, जिसके चलते दोनों पानी में गिर गए। उस हादसे में दोनों की मौत हो गई थी। मैं खुद प्रतिदिन अपनी बकरियों और घरवालों को खेत पर ले जाता हूं। जब भी हम नदी पार करते हैं तो हमें हमेशा डर बना रहता है।

'इस रास्ते के सिवा कोई विकल्प नहीं'

ग्रामीण संगीता बाई ने बताया कि, गांव के लोगों के पास खेतों पर जाने का कोई अन्य रास्ता नहीं है, इसलिए नदी के दोनों सिरों पर बंधी रस्सी के सहारे अस्थाई नाव में बैठकर ही हमें इसे पार करना होता है। सबसे ज्यादा तकलीफ हमें बारिश के दिनों में होती है, क्योंकि दोनों तरफ घनी झाड़ियां उग जाती हैं, जिसके चलते महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी से गुजरना पड़ता है।

'रात में किसी को पता भी न चले'

बानीखेड़ी निवासी ग्रामीण कारुलाल का कहना है कि, सर्दी के दिनों में सिंचाई करने हमें रात में खेतों पर जाना पड़ता है। ऐसे में वहां पर पूरी तरह अंधेरा रहता है। टॉर्च के सहारे हम नदी पार कर पाते हैं। ऐसे में अगर कोई हादसा हमारे साथ हो तो किसी को पता भी नहीं चलेगी कि, हमारा कया हुआ, इसका जिम्मेदार कौन होगा पता नहीं। कई जगह आवेदन दे चुके हैं, लेकिन अबतक कोई सुनवाई नहीं हुई।

क्या कहते हैं जिम्मेदार?

वहीं, इस मामले को लेकर जावरा एसडीएम सुनील जायसवाल का कहना है कि, ये मामला आपके जरिए संज्ञान में आया है। मुझे इस बारे में अबतक जानकारी नहीं थी। जनपद पंचायत के सीईओ को भेज कर समस्या के बारे में समझते हैं, जितनी संभव होगी ग्रामीणों को सुविधा मुहैया कराई जाएगी।