
फोटो- पत्रिका नेटवर्क
Rajasthan News: राजधानी जयपुर के वैशाली नगर स्थित गांधी पथ पर सड़क चौड़ीकरण अभियान के दौरान जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) की एक कार्रवाई ने पूरे शहर में हंगामा मचा दिया है। जेडीए ने जहां दर्जनों दुकानों और मकानों को अतिक्रमण बताकर नोटिस थमाए, वहीं एक प्राचीन शिव मंदिर को भी अवैध कब्जे का दोषी मानते हुए सीधे 'शिव मंदिर' के नाम नोटिस चस्पा कर दिया। यह नोटिस 21 नवंबर को जारी किया गया था।
नोटिस में भगवान शिव से 7 दिन के अंदर जवाब मांगा गया है और 28 नवंबर को दस्तावेजों सहित हाजिर होने का आदेश दिया गया है। नोटिस मंदिर की बाउंड्री वॉल पर चस्पा किया गया है, जिसमें साफ-साफ लिखा है कि हाईकोर्ट की रिट पिटीशन नंबर 658/2024 के तहत गांधी पथ को 100 फीट चौड़ा करने की योजना है।
जेडीए की पीटी सर्वे रिपोर्ट (जोन-7) के अनुसार मंदिर की बाउंड्री वॉल सड़क की निर्धारित लाइन में 1.59 मीटर अंदर आ रही है, जिसे अतिक्रमण माना गया है। नोटिस में चेतावनी दी गई है कि अगर तय समय में जवाब या दस्तावेज पेश नहीं किए गए तो एकतरफा कार्रवाई कर अतिक्रमण हटाया जाएगा।
स्थानीय लोगों में इस नोटिस को लेकर भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि यह मंदिर कोई नया अवैध निर्माण नहीं है, बल्कि जेडीए ने ही कई साल पहले पार्क के साथ मिलकर इस मंदिर का निर्माण करवाया था और बाउंड्री वॉल भी प्राधिकरण की अपनी निर्माण एजेंसी ने खड़ी की थी। अब उसी मंदिर को अतिक्रमण बताना सरासर गलत है।
वैशाली नगर के स्थानीय लोगों ने कहा कि नोटिस किसी व्यक्ति, ट्रस्ट या समिति के नाम होना चाहिए था, लेकिन सीधे भगवान शिव के मंदिर के नाम नोटिस चस्पा करना हमारी आस्था पर कुठाराघात है। यह हमारी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कृत्य है। जेडीए को तुरंत माफी मांगनी चाहिए।
दरअसल, 21 नवंबर को ही जेडीए ने गांधी पथ पर करीब 70 मकान मालिकों और दुकानदारों को भी अतिक्रमण नोटिस थमाए थे। सड़क चौड़ीकरण का यह अभियान लंबे समय से चल रहा है, लेकिन मंदिर को नोटिस मिलते ही मामला तूल पकड़ गया। मंदिर प्रबंधन, पुजारी या देखभाल करने वाली किसी समिति से बिना पूछताची जेडीए ने सीधे दीवार पर नोटिस ठोंक दिया, जिससे लोगों में रोष और बढ़ गया।
नोटिस लगते ही क्षेत्र में हड़कंप मच गया। लोग एकजुट होकर जेडीए कार्यालय के बाहर प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। नोटिस का फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। हैशटैग #SaveShivMandir और #JDAvsBhagwan ट्रेंड करने लगे हैं। कई लोगों ने सवाल उठाया है कि आखिर 28 नवंबर को दस्तावेज लेकर भगवान शिव हाजिर होंगे या उनके भक्त जेडीए को समझा पाएंगे?
जेडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नोटिस जारी करने की प्रक्रिया मानक है और जहां कब्जा दिखता है, वहां नोटिस चस्पा किया जाता है। मंदिर ट्रस्ट या समिति अगर दस्तावेज पेश करे तो राहत मिल सकती है। लेकिन स्थानीय लोग इसे बहाना बता रहे हैं। उनका कहना है कि जब जेडीए ने खुद मंदिर बनवाया था तो अब दस्तावेज मांगना बेमानी है।
Published on:
27 Nov 2025 11:14 am
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