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Ground Report On Lumpy Virus :: स्वस्थ को बचाने के लिए छोड़ी गई हजारों संक्रमित गायें, गांवों के दर्दनाक हालात

लंपी वायरस से गांवों के हालात बद से बदतर होते जा रहे है।

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Ground Report On Lumpy Virus ::  स्वस्थ को बचाने के लिए छोड़ी गई हजारों संक्रमित गायें

Ground Report On Lumpy Virus :: स्वस्थ को बचाने के लिए छोड़ी गई हजारों संक्रमित गायें

जयपुर। गायों को तड़पता देख आंख से निकलते आंसू और किसान की बेबसी परेशान करती है। कभी गाय के शरीर पर नीम के पत्तों से झाड़ा तो कभी जड़ी बूटी औषधि युक्त काढ़ा पिलाकर गायों को बचाने की जद्दोजहद में किसान लगे है। अपनी आंखों के सामने अपने पशु को मरता हुआ देखकर उसे बचाने की चिंता है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही कह चुके है कि जल्दी ही वैक्सीन मंगवा ली जाएगी। सवाल यहीं उठता है कि जब तक वैक्सीन आए तब तक देर नहीं हो जाए। हालांकि केन्द्र सरकार की ओर से लम्पी वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन की डिलेवरी करने के आदेश दिए गए है।

लंपी वायरस से गांवों के हालात बद से बदतर होते जा रहे है। लंपी वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है। हालात यह है कि गांवों में पशुपालक अब मजबूर होकर अपनी संक्रमित गायों को खुले मेें छोड़ रहें है। गांवों में हजारों संक्रमित गायों को खुलें बीहड़ में छोड़ा जा रहा है। पशुपालक यह इसलिए कर रहे है ताकी अपने बाड़े में मौजूद दूसरी स्वस्थ गायों को संक्रमित गायों से बचाया जा सके।

गांवों में पहुंची पत्रिका टीम, पशुपालकों ने किया दर्द बयां..

लंपी वायरस से पीडि़त पशुपालकों से मिलने के लिए पत्रिका टीम गांवों में पहुंची। पत्रिका टीम ने जयपुर जिले की ग्राम पंचायत पीथावास का दौरा किया। जहां गांव-ढाणियों में पत्रिका टीम पशुपालकों से मिली।

जानिए : पशुपालकों का दर्द, उनकी जुबानी..

- इस लंपी बीमारी की वजह से दो गायों को खुले में छोड़ दिया है। ताकी दूसरी गायें बच सके। वही एक गाय मर गई। गांव में ऐसे बहुत परिवार है जिन्होंने अपनी गायों को खुले में छोड़ा है। यह हमारी मजबूरी बन गई है कि ताकी हम हमारी दूसरी स्वस्थ गायों को इस बीमारी से बचा सके। इस बीमारी की वजह से हमें लाखों रुपए का नुकसान हो गया है। साथ ही दूध भी बंद हो गया है। जिससे हमारा खर्च चलता है।

अर्जुन लाल, पशुपालक

- हमारी चार गायों की लंपी बीमारी से मौत हो गई है। 5-6 गायें अभी संक्रमित चल रही है। स्थिति दिनों दिन लगातार बिगड़ती जा रहीं है। गायें लगातार मरती जा रहीं है। हम हमारे स्तर पर इलाज कराते है। विभागीय स्तर पर कोई मदद नहीं मिल पा रहीं है। गायों के मरने व बीमार होने से दूध बंद होने से हमारी आय भी बंद हो गई है।

रामसहाय, पशुपालक

- एक बार गाय बीमार होने पर सही होना मुश्किल हो जाता है। हालात दर्दनाक इसलिए है कि घर में सभी गायें संक्रमित हो चुकी है। गांव में सैकड़ों गायों की मौत हो चुकी है। अगर यही हालात रहे तो आगे की स्थिति बहुत दर्दनाक होगी।

बाबूलाल, किसान

- लंपी बीमारी की वजह से गायों की मौत हो रहीं है। गायों को स्वयं के स्तर पर डिस्पोजल किया जाता है। सरकार की ओर से ग्राम पंचायतों की इस संबंध में कोई मदद नहीं की जा रहीं है। इसलिए सरकार को ग्राम पंचायतों को गाय दफनाने के लिए बजट राशि जारी करनी चाहिए। वही पीडि़त परिवारों को मुआवजा दिया जाना चाहिए।

सीताराम यादव, पीथावास