मैथिली कहती हैं कि उनका जन्म संगीत के लिए ही हुआ। वे बचपन से ही संगीत के वातावरण में पली बड़ी हैं। इनके पिता का नाम रमेश ठाकुर खुद संगीत के टीचर हैं। उनकी देखरेख में ही मैथिली ने अपनी संगीत की शिक्षा ली और अब भी वो अपने आप को अभ्यासरत शिष्या ही कहती हैं। दिन की शुरुआत ही उनके हारमोनियम पर अंगुलियां चलाते हुए होती है। उनके इस गीत—संगीत के अभ्यास में तबले पर साथ देते हैं उनके बड़े भाई रिषभ और छोटा भाई अयाची ठाकुर उनके साथ सुर से सुर मिलाते हैं। फिलहाल मैथिली दिल्ली के आत्माराम सनातन धर्मं कॉलेज से अपनी पढाई पूरी कर रही हैं। साथ ही गीत—संगीत के सफर को बेहतर बनाने की कोशिश में है। मैथिली ने पहली बार वर्ष 2011 में लिटिल चैंप्स का ऑडिशन दिया था परन्तु वह रिजेक्ट हो गई थी। इसके बाद कई शोज के लिए ऑडिशन दिए, पर टॉप 20 तक आकर रिजेक्ट हो जाती थी। उसे 6 बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा पर हार नहीं मानी। फिर 2015 में जीनियस यंग सिंगिंग स्टार सीजन 2 का खिताब जीता था। वहीं इंडियन आइडल जूनियर 2 में भी टॉप 20 में जगह बनाई थी। मैथिली 5 बार की दिल्ली राज्य की शास्त्रीय संगीत प्रतियोगिता की विजेता रह चुकी हैं। वहीं मैथिली ठाकुर ने 2016 में थारपा नामक एलबम से अपने संगीत करियर की शुरुआत की हैं। वो अब बॉलीवुड में सफल प्लेबैक सिंगर बनाना चाहती हैं।
लाखों लोगों की पसंद
टीवी शो राइजिंग स्टार में मैथिली ठाकुर दूसरे स्थान पर रही। वह इस ख़िताब से मात्र दो वोट पीछे रह गयी थी, उसके बाद भी उनके चेहरे पर मुस्कुराहट थी। इतनी कम उम्र में ही मैथिली संगीत के उतार—चढ़ाव के साथ जीवन के उतार—चढ़ाव पार करना भी सीख गई। मैथिली का कहना है कि रिजेक्शन मेरा आत्मविश्वास कम नहीं कर सकता। मुझे अभ्यास और मेहनत पर विश्वास है। मैथिली हर दिन फेसबुक पर अपना एक गाना लाइव करती हैं और लाखों लोग उन्हें सुनते हैं, सराहते हैं। मैथिली और उसके परिवार को विश्वास है कि वो बॉलीवुड में भी नाम कमाएगी।