scriptमेजर सिंह को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था, जिंदगी के जज्बे से मौत भी हार गई | Major D P Singh, Man who ran back from the dead | Patrika News

मेजर सिंह को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था, जिंदगी के जज्बे से मौत भी हार गई

locationजयपुरPublished: Jul 26, 2019 01:25:03 pm

Submitted by:

santosh

kargil vijay diwas: पंद्रह जुलाई 1999। जम्मू का अखनूर सेक्टर। भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा। दूसरी तरफ कश्मीर में करगिल युद्ध अपने चरम पर। तभी दुश्मन के एक गोले से बंकर तबाह हो जाता है लेकिन भारतीय फौजियों की बहादुरी और जीवटता से मौत एक बार फिर गच्चा खा जाती है।

major dp singh

आनंदमणि त्रिपाठी
Kargil Vijay Diwas – पंद्रह जुलाई 1999। जम्मू का अखनूर सेक्टर। भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा। दूसरी तरफ कश्मीर में करगिल युद्ध अपने चरम पर। तभी दुश्मन के एक गोले से बंकर तबाह हो जाता है लेकिन भारतीय फौजियों की बहादुरी और जीवटता से मौत एक बार फिर गच्चा खा जाती है। जी, हां। बात कर रहे हैं देश के पहले ब्लेड रनर, लिम्का बुक अवार्ड होल्डर, करगिल योद्धा मेजर देवेंद्रपाल सिंह यानी डी.पी. सिंह की। आज वह दुनिया भर में मैराथन दौड़ते हैं। और अब उनके नाम के आगे एक और तमगा जुड़ गया है द्ग देश का पहला दिव्यांग स्काई-डाइवर होने का।

 

मेजर डीपी सिंह ने भारत और कनाडा में हाल ही में 12500 फीट से स्काई-डाइविंग की है। मेजर डीपी सिंह करगिल युद्ध के दौर को याद करते हुए कहते हैं द्ग डॉक्टरों ने मृत घोषित कर उनके शरीर को शव गृह में भेजने का आदेश दे दिया था लेकिन एक अनुभवी डॉक्टर की नजरों ने उनकी डूबती सांसों को पहचान लिया। तुरंत अस्पताल ले गए और जान बच गई। आज भी मैं इस दिन को मौत और जन्म के रूप में मनाता हूं। अस्पताल में महीनों बाद जब होश आया तो बताया गया कि पांव काटना पड़ेगा। अगर आप मुझसे पूछते हैं कि मेरे जीवन में सबसे अच्छी बात क्या हुई है, तो मेरा जवाब होगा, ‘युद्ध में मेरा घायल होना।’

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो