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जयपुर

राजस्थान के इस मंदिर का ‘शिवलिंग‘ सूर्य के हिसाब से बदलता है दिशा, देश का है अनूठा शिव मंदिर

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जयपुरAug 06, 2018 / 11:57 am

dinesh

Lord Shiva
जयपुर। राजस्थान अपनी कला-संस्कृति के साथ अपने अनोखे और ऐतिहासिक मंदिरों के लिए भी विश्वविख्यात है। यहां कई ऐसे मंदिर हैं जिनके चमत्कार आज भ्भी लोगों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं। ऐसा ही एक मंदिर राजधानी जयपुर के पास अरावली पर्वत शृंखला के बीच बसे सामोद स्थित महार कलां गांव में है। इस मंदिर में एक अनूठा शिवलिंग है जो हर 6 महीने में दिशा बदलता है। मंदिर में विराजमान शिवलिंग सूर्य की दिशा के अनुरूप चलने लिए विख्यात है।

सूर्य के हिसाब से दिशा में झुक जाता है शिवलिंग
मालेश्वर महादेव मंदिर में विराजमान ये शिवलिंग हर छह माह में सूर्य के हिसाब से दिशा में झुक जाता है। सूर्य हर वर्ष छह माह में उत्तरायण और दक्षिणायन दिशा की ओर अग्रसर होता रहता है। उसी तरह यह शिवलिंग भी सूर्य की दिशा में झुक जाता है। अपने इस चमत्कार के कारण यह देश में अनूठा शिव मंदिर है।

ऐसे पड़ा मंदिर का नाम मालेश्वर महादेव
मंदिर के पुजारी के अनुसार, वर्तमान में महार कलां गांव पौराणिक काल में महाबली राजा सहस्रबाहु की माहिशमति नगरी हुआ करती थी। इसी कारण इस मंदिर का नाम मालेश्वर महादेव मंदिर पड़ा। विक्रम संवत 1101 काल के इस मंदिर में स्वयंभूलिंग विराजमान है।

कुण्डों में पानी कभी नहीं होता खाली
यह स्थान जयपुर से लगभग चालीस किलोमीटर दूर है। विक्रम संवत 1101 काल के इस मंदिर में स्वयंभूलिंग विराजमान है। प्रकृति की गोद में बसा यह स्थान अपने आप में काफी मनोरम है। जहां बारिश में बहते प्राकृतिक झरने, पानी के कुण्ड, आसपास पौराणिक मानव सभ्यता-संस्कृति की कहानी कहते अति प्राचीन खण्डहर इस स्थान की प्राचीनता को दर्शाते हैं। इस मंदिर के आसपास चार प्राकृतिक कुण्ड हैं, जिनका पानी कभी खाली नहीं होता हैं। ये कुण्ड मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों, जलाभिषेक और सवामणी आदि करने वालों के लिए प्रमुख जलस्रोत हैं।

लोगों को लुभाते हैं प्राकृतिक झरने
पहाडिय़ों से घिरे इस धार्मिक स्थल पर प्रकृति भी जमकर मेहरबान है। बारिश में मंदिर के आसपास प्राकृतिक झरने बहने लगते हैं। जो यहां की छटा को और भी मनमोहक बना देते हैं। बारिश के दिनों में रोज गोठें होती हैं।

मुगल काल में मंदिर कर दिया गया था नष्ट
इस मंदिर की सेवा पूजा करते आए महंत के अनुसार, मुगल काल में इस मंदिर को नष्ट कर दिया गया था। मंदिर में उस जमाने में तोड़ी गई शेष शैया पर लक्ष्मी जी के साथ विराजमान भगवान विष्णु जी की खण्डित मूर्ति आज भी यहां मौजूद है। कालांतर मेंं मंदिर का जीर्णोद्धार कर इस पर गुंबद व शिखर का निर्माण करवाया गया।

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