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मानगढ़ धाम 1500 आदिवासियों के बलिदान का गवाह: एक नवंबर को आएंगे प्रधानमंत्री मोदी

देशभर के आदिवासियों और इनमें भी खासकर राजस्थान, गुजरात और मध्य्रपेदश के आदिवासियों की जन जन की आस्था का केंद्र है मानगढ़ धाम

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जयपुर

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Hiren Joshi

Oct 30, 2022

Mangarh Dham Banswara History: PM Modi Mangarh Visit

मानगढ़ धाम 1500 आदिवासियों के बलिदान का गवाह: एक नवंबर को आएंगे प्रधानमंत्री मोदी

देश में 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद सर्जिकल स्ट्राइक, कश्मीर में धारा 370, अयोध्या में कोर्ट के फैसले के बाद भव्य श्रीराममंदिर निर्माण और दिल्ली में नेशनल वार मेमोरियल बनाना मील का पत्थर माना जाता है। इस कड़ी में देश की आदिवासी अस्मिता से जुड़ा एक बड़ा कदम और उठाया जा सकता है।

देशभर के आदिवासियों और इनमें भी खासकर राजस्थान, गुजरात और मध्य्रपेदश के आदिवासियों की जन जन की आस्था का केंद्र है मानगढ़ धाम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंगलवार को मानगढ़ दौरे के साथ ही हर तरफ से आवाज आ रही है कि इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए। पूरी दुनिया में ऐसा शायद ही कोई स्थान हो जहां देश की रक्षा के लिए 1500 आदिवासी बलिदान हो गए। जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार से भी विभत्स कांड को क्रूर अंग्रेजी सरकार ने यहां अंजाम दिया था। ऐसे में मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की दशकों पुरानी मांग के अब पूरी होने की प्रबल संभावना जताई जा रही है।

देश में 15 वें राष्ट्रपति के रूप में द्रोपदी मुर्मू के शपथ लेने के तुरंत बाद देश भर में आदिवासी क्षेत्रों में खुशी जाहिर हुई थी। तब भारतीय जनता पार्टी ने बकायदा राजस्थान के वांगड़ क्षेत्र में पदयात्रा निकालकर आदिवासियों से गहरे जुड़ाव का संकेत दिया था। अब पार्टी के नेताओं का कहना है कि आदिवासियों के साथ ही जन जन की आस्था के केंद्र को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने से पार्टी के प्रति जबरदस्त विश्वास बढ़ेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां आजादी के अमृत महोत्सव के तहत ही धूली वंदना कार्यक्रम में आ रहे हैं। बांसवाड़ा जिले की आनंदपुरी पंचायत समिति क्षेत्र की पहाड़ी पर मानगढ़ धाम स्थित हैं। 17 नवंबर 1913 में गोविन्द
गुरु के नेतृत्व में अंग्रेजों से स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए करीब 1500 आदिवासी शहीद हुए थे। मानगढ़ से जुड़े अधिकृत दस्तावेज दिल्ली केराष्ट्रीय अभिलेखागार से हैं। केंद्र सरकार इस आधार पर ही यहां काम कर रही है। राजस्थान सरकार भी इस पवित्र स्थान पर विशेष ध्यान देती रही है।

राजनीति भी जमकर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मानगढ़ दौरे को लेकर राजनीति भी खूब हो रही है। एन गुजरात चुनावों के समय यहां आना अपने आप में बड़ा संदेश है। प्रधानमंत्री के दौरे की आहट के साथ ही कांग्रेस के कान खड़े हो गए थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस दौरे की घोषणा के साथ ही मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग शुरू कर दी है। हालांकि मुख्यमंत्री ने अगस्त में भी भारत सरकार को पत्र लिखकर मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग की थी। इधर, भाजपा ने सरकारी कार्यक्रम होने के कारण सीधे हस्तक्षेप करने की बजाय आदिवसी बहुल क्षेत्रों में इस कार्यक्रम को लेकर जागृति अभियान चला रखा है। चलो मानगढ़ के नारे के साथ आदिवासियों से आह्ववान किया जा रहा है कि इस गौरवशाली क्षण के साक्षी बनें।

राजनीतिक लाभ भी तय

मानगढ़ के कार्यक्रम को सरकारी कार्यक्रम से इतर देखा जा रहा है। इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की स्थिति में पोलटिकल माइलेज मिलना तय माना जा रहा है। राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात राज्यों के आदिवासियों के लिए यह महत्वपूर्ण घोषणा हो सकती है। तीनों राज्यों में अनुसूचित जाति की बड़ी आबादी है। सीटों के लिहाज से ही देखें तो मध्यप्रदेश में 47, गुजरात में 25 और राजस्थान में 25 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में तीन राज्यों की 99 सीटों पर इस फैसले का बड़ा असर पड़ सकता है। इनके अलावा भी 30 सीटें ऐसी होती हैं जहां जनजातियां निर्णायक होती हैं।