
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
जयपुर। ओमिक्रॉन और कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या चिंता बनी हुई है। वहीं दूसरी ओर इसको लेकर लोगों की लापरवाही भी देखने को मिल रही है। यह इस कद्र हैं कि लोग सैंपल देकर गायब हो रहें हैं, संक्रमित पाए जाने के बाद उन्हें ढूंढना मुश्किल हो रहा है। इससे संक्रमण के प्रसार का भी खतरा बना हुआ है।
मामला यह हैं कि इन दिनों कोरोना संक्रमित रेकॉर्ड मिल रहे हैं। इसमें ओमिक्रॉन वैरिएंट के भी आए दिन केस मिल रहे हैं। इस बीच लापरवाही सामने आ रही हैं कि लोग सैंपल देते वक्त गलत नाम पते लिखवा रहे हैं। इससे उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उनको ढूंढना चिकित्सा विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा हैं। ऐसे आए दिन हो रहा है।
आंकड़ों की बात करें तो, महज 20 दिन में 50 से ज्यादा लोग ऐसे मिल चुके हैं। हालांकि इसमें से कुछ को ट्रैस करने में चिकित्सा विभाग की टीम ने सफलता भी पाई हैं, लेकिन कई अभी तक गायब है। इस लापरवाही के चलते उनसे संक्रमण के प्रसार का खतरा बना हुआ है। चिकित्सा विभाग इसे लापरवाही को रोकने में नाकामयाब साबित हो रहा है। कारण ऐसा पहली बार नहीं हो रहा हैं, दूसरी लहर के दौरान भी इस तरह के केस सामने आए थे, लेकिन इस बार ऐसे केस ज्यादा आ रहे है।
4 दिन में 200 बच्चे चपेट में
- नवबंर महीने से बच्चों पर इसका खतरा तेजी से मंडरा रहा है। इस महीने की बात करें तो, जिले में करीबन 200 बच्चे चपेट में आ गए हैं। इनमें ज्यादातर 10 से 18 वर्ष आयु तक के शामिल हैं लेकिन एक से पांच वर्ष आयु के भी कई बच्चे चपेट में आए है। इस स्थिति में पहचान छुपाया या किसी भी प्रकार की लापरवाही बरतना नुकसान दायक साबित हो सकता है।
सीएमएचओ बोले, ज्यादातर को ढूंढ लेते
सीएमएचओ (जयपुर प्रथम) डॉ नरोत्तम शर्मा का कहना हैं कि रिपोर्ट बनाते वक्त कई लोगों के नाम पत्ते सही नहीं मिल पाते लेकिन बाद टीम ढूंढ लेती है। हालांकि कुछ नहीं मिल पाते। इस तरह के अधिकांश केस निजी लेब के सैंपल में मिलते हैं। उन्हें नोटिस भी देते रहते है। लेकिन लोग लापरवाही करने से बाज नहीं आ रहे।
Updated on:
07 Jan 2022 01:56 pm
Published on:
06 Jan 2022 12:27 pm
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