
अवैध मसाला चौक को बचाने की जेडीए की टूटेगी उम्मीद !
भवनेश गुप्ता
जयपुर। हाईकोर्ट के तमाम आदेश के बावजूद रामनिवास बाग में मसाला चौक की आड़ में व्यावसायिक गतिविधि संचालित हो रही है। खुद को बचाने के लिए जेडीए ने सार्वजनिक निर्माण विभाग से रामनिवास बाग का मालिकाना हक खुद के पास ले तो लिया लेकिन इससे कोर्ट के आदेश से बचने की गली नहीं तलाशी जा सकी। उलटे, अब ज्यादा संकट गहरा गया है, क्योंकि रामनिवास बाग बचाओ संघर्ष समिति एक बार फिर हाईकोर्ट के जनवरी, 2010 के आदेश को लेकर जेडीए के खिलाफ न्यायालय की अवमानना का केस दायर करने जा रही है। पहले से भी हाईकोर्ट मेें एक केस चल रहा है। इससे जिम्मेदार अफसर भी परेशान हैं। गंभीर यह है कि इसी बीच यहां खाली पड़े 7 कियोस्क को आवंटन करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। इनमें कुल्फी—ज्यूस, सिंधी व्यंजन, गुजराती, मारवाड़ी के अलावा मांसाहारी व्यंजन भी होंगे। भाजपा सरकार में इस तरह की अवैध तरीके से गतिविधि संचालन की शुरुआत की गई।
संकट फिर भी कम नहीं
खुद को बचाने के लिए जेडीए ने पीडब्ल्यूडी से मालिकाना हक अपने पास ले लिया। इसके लिए मुख्य सचिव स्तर पर निर्देश जारी हुए। विषय विशेषज्ञों के मुताबिक जेडीए को भले ही अब मालिकाना हक मिल गया हो, लेकिन उससे पहले ही निर्माण व व्यावसायिक गतिविधि शुरू करने की प्रक्रिया अवैध है। यहां तक की बिना मालिकाना हक और एनओसी लिए बिना ही कियोस्क बांटने की बंदरबांट तक कर दी गई। हाईकोर्ट की समय—समय पर रोक के बावजूद ऐसा किया गया। कारण, जेडीए के पास रखरखाव का जिम्मा था, लेकिन मालिक बन वहीं निर्माण कर कियोस्क बांट दिए।
पीडब्ल्यूडी मान चुका अवैध
पीडब्लयूडी के वरिष्ठ उद्यान अधीक्षक की रिपोर्ट सामने आ चुकी है। इसमें साफ अंकित है कि वंडरलैंड स्थल में मसाला चौक के लिए किया गया निर्माण उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना है। जयपुर विकास प्राधिकरण को इसकी पूरी जानकारी थी और उनके द्वारा ही अधिकृत कियोस्कधारियों को रामनिवास बाग परिसर से अन्यत्र पुनस्र्थापित किया जाना था। ऐसी स्थिति में मसाला चौक के लिए एनओसी जारी करना न्यायालय की अवहेना होगी।
इस पत्र से मची हलचल
राजस्थान हाईकोर्ट ने 2 अप्रेल, 1993, 15 अप्रेल, 1997 व 19 जनवरी, 2010 को आदेश दिया। इसके अलावा 9 नवम्बर, 2010 को तत्कालीन महाधिवक्ता जी.एस. बापना की राय व समय—समय पर कोर्ट के उद्यान में किसी तरह की व्यावासयिक गतिविधि, निर्माण, फूड कोर्ट संचालन कार्य वर्जित होने से जुड़े निर्णय हैं। यह पत्र तत्कालीन अधीक्षण अभियंता एम.सी. भाटी ने लिखा था।
नाम की कमेटी, कंसलटेंट तय करती रहीं
मसाला चौक में 30 में से 8 कियोस्क खाली हैं। एक कियोस्क जेल विभाग को नि:शुल्क दिया जाएगा। बाकी 7 कियोस्क में वैरायटी तय कर दी गई है। इसके लिए भी कमेटी का हवाला दिया गया, जिसमें भाजपा सरकार में कंसलटेंट रहीं नीता कपूर की मुख्य भूमिका बताई जाती रही। हालांकि, अब सरकार बदल चुकी है।
Published on:
04 Jan 2019 08:04 pm
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