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रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और मेट्रो के 800 मीटर दायरे में बसेंगे ‘मिनी शहर’

प्रदेश के शहरों में अब ट्रांजिट ओरिएंटेड डवलपमेंट (टीओडी) करने की प्लानिंग है। इसमें शहरों के वे इलाके शामिल होंगे, जहां ज्यादातर लोग मेट्रो, रेलवे या बस से यात्रा कर रहे हैं। उन स्टेशनों के आसपास ही घर, दफ्तर, दुकानें और जरूरी सुविधाएं इस तरह विकसित की जाएंगी कि लोगों को कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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जयपुर

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GAURAV JAIN

Dec 07, 2025

सीएम ने ट्रांजिट ओरिएंटेड डवलपमेंट नीति को दी हरी झंडी, कैबिनेट में जाएगा प्रस्ताव

स्टेशन के आसपास ही घर-दफ्तर-दुकानों का होगा विकास

जयपुर. प्रदेश के शहरों में अब ट्रांजिट ओरिएंटेड डवलपमेंट (टीओडी) करने की प्लानिंग है। इसमें शहरों के वे इलाके शामिल होंगे, जहां ज्यादातर लोग मेट्रो, रेलवे या बस से यात्रा कर रहे हैं। उन स्टेशनों के आसपास ही घर, दफ्तर, दुकानें और जरूरी सुविधाएं इस तरह विकसित की जाएंगी कि लोगों को कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके लिए टीओडी नीति लाई जा रही है, जिसमें मुख्यमंत्री ने मंजूरी दे दी है और इसे कैबिनेट बैठक के लिए भेज दिया गया है। शहरों के मास्टर प्लान में भी शामिल कर विकास योजना तैयार की जाएगी।

इसमें मेट्रो रेल, रेलवे, रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम व अन्य किसी पब्लिक ट्रांजिट सिस्टम को शामिल किया जाएगा, जहां पीक आवर्स में एक ही दिशा में प्रति घंटा 5 हजार या उससे अधिक लोग यात्रा करते हों। ऐसे सभी स्टेशनों को टीओडी नोड घोषित किया जाएगा और इन नोड के 800 मीटर दायरे को टीओडी जोन माना जाएगा। हालांकि, इसकी फिजिबिलिटी के पहले संबंधित विकास प्राधिकरण, नगर विकास न्यास आकलन कराएगा।

स्वैच्छिक होगा डवलपमेंट...

ऐसे जोन में डवलपमेंट पूरी तरह स्वैच्छिक होगा। भूमि या संपत्ति मालिक इच्छानुसार टीओडी स्कीम बनाकर आवेदन कर सकेंगे। संबंधित विकास प्राधिकरण प्रस्ताव की जांच कर मंजूरी देगा। नीति का लाभ केवल उन्हीं योजनाओं को मिलेगा, जो टीओडी स्कीम के तहत लाई जाएंगी।

दावा: नॉन मोटराइज्ड वाहनों का उपयोग बढ़े

इस नीति के तहत अधिक निर्मित क्षेत्र (बीएआर) और मिश्रित उपयोग के प्रावधान किए जाएंगे, ताकि ट्रांजिट काॅरिडोर के दोनों तरफ सुनियोजित बसावट की जा सके। लोग निजी वाहन का उपयोग कम करें और पैदल या नॉन मोटराइज्ड वाहन से आवाजाही करें। हर योजना में आवासीय, वाणिज्यिक और अन्य गतिविधियों का एक निर्धारित अनुपात में समावेश जरूरी रहेगा।

दो तरह से विकसित की जा सकेगी योजना

- एक हेक्टेयर से कम भूमि पर केवल उन्हीं योजनाओं को स्वीकृति मिलेगी, जो पूरी तरह इंटेंस डवलपमेंट एरिया (ट्रांजिट स्टेशन से 500 मीटर या ट्रांजिट लाइन से 500-800 मीटर दायरे) में हो।

- एक हेक्टेयर या अधिक भूमि पर लाई जाने वाली योजनाओं में कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा इंटेंस डवलपमेंट एरिया में शामिल होना अनिवार्य होगा।