
जया गुप्ता/ जयपुर। एससी-एसटी के मुद्दों को लेकर कांग्रेस में बयानबाजी का दौर लम्बे समय से चल रहा है, लेकिन वास्तव में मंत्री-विधायक एससी-एसटी के मुद्दों को लेकर कितने संवेदनशील हैं यह देखने को मिला सोमवार को जिला कलक्ट्रेट में हुई बैठक में। जिला कलक्ट्रेट मेंअनुसूचित जाति, जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत गठित जिला स्तरीय सतर्कता एवं पर्यवेक्षण समितिश् की मासिक बैठक में जनप्रतिनिधियों को लेकर सोमवार को बैठक हुई। बैठक पांच सांसद, चार मंत्री व 15 विधायकों यानी कुल 24 जनप्रतिनिधियों को बुलाया गया। मगर हैरानी की बात यह रही की केवल एक विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ही पहुंचे। शेष 23 जनप्रतिनिधि बैठक से नदारद रहे। इसमें पक्ष व विपक्ष दोनों के जनप्रतिनिधि शामिल हैं। इतना ही नहीं सोलंकी समेत छह जनप्रतिनिधि खुद एससी-एसटी वर्ग के थे।
बैठक जिला कलक्टर अंतर सिंह नेहरा की अध्यक्षता में होनी थी मगर वे भी अनुपस्थित रहे। ऐसे में एडीएम प्रथम इकबाल खान की अध्यक्षता में बैठक हुई।
पूर्व मंत्री रमेश मीणा ने उठाया था मामला
पूर्व खाद्य मंत्री व सपोटरा विधायक रमेश मीणा ने कुछ समय पहले एससी-एसटी वर्ग के विधायकों की आवाज दबाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि विधानसभा में एससी-एसटी के विधायकों को विधानसभा में ऐसी जगह बिठाया जाता है, जहां माइक नहीं है। उसके बाद चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी व दौसा से विधायक मुरारी मीणा ने भी मामले को तूल दिया था।
ये सांसद व मंत्री नहीं हुए शामिल
सांसद - रामचरण बोहरा, राज्यवद्र्धन सिंह राठौड़, स्वामी सुमेधानंद सरस्वती, भागीरथ चौधरी, जसकोर मीणा।
मंत्री - लालचंद कटारिया, प्रतापसिंह खाचरियावास, राजेंद्र यादव और मुख्य सचेतक महेश जोशी।
Published on:
20 Jul 2021 11:40 am
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