
जयपुर। बिल्डरों के साथ मिलकर सरकारी भूमि पर बनने वाली आवासीय इमारतों की निर्धारित उंचाई घटाई जा रही है। मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत पहले जिन प्रोजेक्ट में भूतल सहित 10 मंजिला ऊंची इमारत बननी थी, वो 6 मंजिल की जा रही है। इसके लिए बहुमंजिल आवासीय प्रोजेक्ट (इडब्ल्यूएस व एलआइजी) को योजना के दूसरे प्रावधान में जोडऩे का काम शुरू हो गया है। नोटशीट पर मुहर लगना बाकी है। इसमें अब उसी सरकारी जमीन पर भूतल सहित 4 मंजिला आवास का ही निर्माण करना होगा। यानि, आवास की संख्या भी करीब 4 गुना घट जाएगी। निर्माण लागत कम होने के साथ लिफ्ट, फायर फाइटिंग, फायर एनओसी, एयरपोर्ट अथॉरिटी क्लीरियेंस, पर्यावरणीय अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए होने वाले खर्चे कम हो जाएंगे। सरकार की सहमति के बाद जेडीए बिल्डरों को लुभाने के लिए ऐसा कर रहा है। 9 प्रोजेक्ट में इस तरह बड़ा बदलाव होगा।
इसलिए बना रहे दूरी
तर्क: मौजूदा प्रावधान के तहत तीन बार निविदा जारी की गई। केवल 1 बार बिल्डरों ने रूचि ली। इसमें भी दो ने आवश्यक दस्तावेज पूरे नहीं दिए। ऐसे अकेले एक बिल्डर को पूरे प्रोजेक्ट नहीं दिए।
हकीकत
जहां जमीन है, वह शहर के केंद्र बिन्दू अजमेरी गेट से 30 से 35 किलोमीटर दूर है। आबादी क्षेत्र से भी इनकी दूरी कम से कम 12 किलोमीटर है। वीरान जगह में आवास में लोगों का रहना संभव नहीं लग रहा। चूंकि, बिल्डर को भी इसी जगह 25 प्रतिशत भूमि मिलेगी तो उसे भी तत्काल खुद की योजना लाने में फायदा नजर नहीं आ रहा। इसी कारण बिल्डरों ने दूरी बनाए रखी। लागत कम हुई तो आएंगे।
कारण यह भी
पीपीपी मॉडल में बिल्डरों की बहुमंजिला इमारत में निर्माण करने की बजाय लो—हाइट के काम में ज्यादा रूचि। क्योंकि, गेप फंडिंग के तहत 25 भूमि तो मिलेगी ही, उसमें किसी तरह कटौती नहीं। निर्माण में लागत कम होने से मुनाफा बढऩे की आसार।
घटाया था 30 फीसदी बाहरी शुल्क
कुछ दिन पहले ऐसे प्रोजेक्ट में विकासकर्ताओं के लिए बाहरी विकास शुल्क में 30 फीसदी की कमी की जा चुकी है। जेडीए के भूखंड पर आवास निर्माण करने वाले बिल्डर—विकासकर्ताओं को आरक्षित दर की 40 प्रतिशत की बजाय केवल 10 प्रतिशत राशि देनी होगी।
- जेडीए की योजनाएं दूर हैं। यदि ऊंचाई कम की है तो यह स्वागत योग्य है। बिल्डर का रिस्क कम हो जाएगा। इससे सभी लोगों को आवास उपलब्ध कराने में आसानी होगी।
विनय जोशी, अध्यक्ष, राजस्थान अफ ोर्डेबल हाउसिंग डवलपर्स एसोसिएशन
Published on:
26 Mar 2018 10:38 am
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